मुंबई: महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में टूट का असर 22 नवंबर को मुंबई मेयर के लिए होने वाले चुनाव पर भी पड़ सकता है. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के 2017 में हुए चुनावों में 227 सदस्यीय नगर निगम में शिवसेना के 84 पार्षद जीते थे, वहीं सहयोगी बीजेपी के 82 पार्षदों ने जीत हासिल की थी.


तब बीजेपी ने शिवसेना को समर्थन दिया था और विश्वनाथ महादेश्वर को मेयर चुना गया. महादेश्वर का ढाई साल का कार्यकाल इस साल सितंबर में समाप्त हो गया लेकिन 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल नवंबर तक बढ़ा दिया गया.


विधानसभा चुनाव के 24 अक्टूबर को आए परिणामों के बाद दोनों दलों के बीच दरार आ गई जहां शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर समान साझेदारी की मांग पर अड़ी हुई थी. शिवसेना के इस समय 94 पार्षद हैं जिनमें छह पार्षद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से आए थे. बीजेपी के 83, कांग्रेस के 28, एनसीपी के आठ, समाजवादी पार्टी के छह, एमआईएम के दो और मनसे का एक पार्षद है.


मेयर पद के चुनाव के लिए बीजेपी के उम्मीदवार उतारने की संभावनाओं के सवाल पर पार्टी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढा ने कहा कि उसने अभी तक इस पर निर्णय नहीं किया है. सपा के रईस शेख ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही है और जल्द फैसला लिया जाएगा.


महाराष्ट्र: कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना नेताओं की राज्यपाल से होने वाली मुलाकात टली


आरटीआई अर्जियों के माध्यम से देश के सबसे धनवान नगर निगम में अनेक घोटाले उजागर करने वाले कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि इस समय बीजेपी का रुख अहम होगा जहां राज्यस्तर पर कांग्रेस-एनसीपी की शिवसेना के साथ बातचीत चल रही है.


उन्होंने कहा, ‘‘सबसे संभावित परिदृश्य में कांग्रेस और राकांपा विभिन्न समितियों में पद मांग सकते हैं, वहीं अगर बीजेपी उम्मीदवार खड़ा करने का मन बनाती है तो उसे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सकता है.’’


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