Shiv Sena Election Symbol: शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर केंद्रीय चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को चुनाव आयोग का फैसला मानने की सलाह दी है. पवार ने इसकी वजह भी बताई है.


पवार ने कहा कि यह चुनाव आयोग का फैसला है. एक बार फैसला हो गया, तो इस पर बहस नहीं हो सकती. इसे स्वीकार कीजिए और नया चिह्न लीजिए. इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि लोग नया सिंबल स्वीकार कर लेंगे. बस कुछ दिनों तक इस पर चर्चा होगी.


इंदिरा गांधी के सामने भी आई थी स्थिति
एनसीपी नेता ने इंदिरा गांधी के समय में कांग्रेस में टूट का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ''मुझे याद है, इंदिरा गांधी को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा था. उस समय दो बैलों की जोड़ी कांग्रेस का चिह्न हुआ करता था. बाद में ये उनसे छिन गया और 'हाथ' चुनाव चिह्न मिला, जिसे लोगों ने स्वीकार किया. इसी तरह लोग नया सिंबल (उद्धव गुट का) स्वीकार करेंगे.''


चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को दिया सिंबल
केंद्रीय चुनाव आयोग ने शुक्रवार (17 फरवरी) को उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए शिवसेना का नाम और इसका चुनाव चिह्न 'धनुष और बाण' एकनाथ शिंदे गुट को देने का फैसला किया था. चुनाव आयोग के फैसले का शिंदे गुट ने स्वागत किया था. वहीं, उद्धव ठाकरे ने फैसले की आलोचना करते हुए इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही थी.


प्रकाश अंबेडकर ने कही ये बात
उद्धव ठाकरे के इस कदम का वंचित बहुजन अघाडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद प्रकाश अंबेडकर ने समर्थन किया है. प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि शिवसेना को लेकर चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे का सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला सही है. 


उन्होंने कहा कि मूल रूप से सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग को पार्टी के आंतरिक विवादों पर निर्णय लेने का अधिकार है. वैसे भी, चुनाव कराना चुनाव आयोग का काम है. राजनीतिक दलों के बीच विवादों का फैसला करना चुनाव आयोग का काम नहीं है. अगर उद्धव जी इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो उन्हें न्याय जरूर मिलेगा.


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