Sanjay Raut on EC Decision: चुनाव आयोग के शिवसेना (Shivsena) का नाम और निशान शिंदे गुट को देने के फैसले के खिलाफ ठाकरे गुट सोमवार (20 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाएगा. दरअसल, महाराष्ट्र में इस वक्त चुनाव चिन्ह को लेकर राजनीति गरमाई हुई है. ठाकरे गुट चुनाव आयोग के फैसले के बाद से ही रोष में है और इस फैसले का कड़ा विरोध कर रही है. 


19 जून 1966 को बाला साहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने शिवसेना का गठन किया था. पिता की बनाई 57 साल पुरानी पार्टी का चुनाव चिन्ह ठाकरे परिवार के हाथ से निकल गया है. अब ठाकरे गुट इसके विरोध में उतर गया है. तमाम बयानबाजी के बाद अब ठाकरे की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. 


ऑनलाइन याचिका करेंगे दाखिल 


उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि उनकी तरफ से चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए आज ऑनलाइन याचिका दाखिल कर 20 फरवरी को अर्जेंट सुनवाई की गुहार लगाई जाएगी. ठाकरे गुट की तरप से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल दलीलें देंगे. उनका कहना है कि याचिका में निर्वाचन आयोग के आदेश में कानूनी खामियों के आधार पर फैसले को चुनौती दी जाएगी. 


क्या हुई ठाकरे गुट से गलती? 


इस याचिका में चुनाव आयोग के आदेश में तथ्यों को लेकर हुई गलतियों को आधार बनाया जाएगा. दरअसल, चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी की तरफ से की गई एक गलती को उजागर किया था. 2018 में शिवसेना पार्टी के संविधान में बदलाव की सूचना चुनाव आयोग को नहीं दी गई थी. आयोग ने पाया है कि शिवसेना पार्टी की तरफ से 2018 में पार्टी संविधान में किए गए बदलाव लोकतंत्र के अनुकूल नहीं हैं. 


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