Maharashtra News: महाराष्ट्र में ठाकरे गुट की शिवसेना ने 'सामना' के जरिए उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दिए कटुता वाले बयान पर कहा, फडणवीस जैसे नेताओं को अब अगर पछतावा हो रहा है तो विष का अमृत बनाने का काम भी वहीं करें.

 

दरअसल, दीवाली से पहले देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से संवाद साधते हुए कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में कटुता आ गई है. देवेंद्र फडणवीस के इस बयान पर ठाकरे गुट की शिवसेना ने सामना के जरिए हमला बोला है.

 

सामना में लिखा, दिवाली से पहले देवेंद्र फडणवीस ने कुछ मुद्दों को लेकर खुलकर बात की. फडणवीस ने इस दौरान कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति में कटुता आ गई है जिसे नकारा नहीं जा सकता. महाराष्ट्र की राजनीति में न केवल कटुता, बल्कि बदले की राजनीति का विषैला प्रवाह उमड़ रहा है और इस प्रवाह का मूल बीजेपी की हालिया राजनीति है. वहीं, इस मामले में फडणवीस जैसे नेताओं को अब पछतावा होने लगा है तो उस विष का अमृत बनाने का काम भी उन्हें ही करना होगा.



ढाई साल में तीन बार सत्ता परिवर्तन


सामना में आगे कहा, आज केवल हमारे महाराष्ट्र में ही नहीं देश की राजनीति में कटुता आ गई है. लोकतंत्र के लक्षण क्या हैं? सत्ताधारी पार्टी कोई भी हो, उसे विपक्षी पार्टी को एकीकृत देश का शत्रु नहीं मानना चाहिए. लोकतंत्र में मतभेद का महत्व होता है, इसलिए मतभेद का मतलब देशविरोधी विचार नहीं है. लिहाजा सत्ताधारी और विपक्ष को एक-दूसरे की कम-से-कम ईमानदारी पर विश्वास करके काम करना चाहिए. महाराष्ट्र में कटुता क्यों और किसने निर्माण की? महाराष्ट्र में पिछले ढाई साल में तीन सत्ता परिवर्तन हुए. इनमें से दो सत्ता परिवर्तन सीधे फडणवीस के नेतृत्व में हुए हैं.


केंद्रीय सत्ता का दुरुपयोग कर सरकार गिराई


आगे लिखा, महाराष्ट्र की राजनीति में कटुता न रहे और राज्य के कल्याण के लिए सभी को एक साथ बैठना चाहिए, यही राज्य की परंपरा है. आपने केंद्रीय सत्ता का दुरुपयोग करके सरकार गिराई, शिवसेना तोड़ी. शिवसेना का धनुष-बाण चिह्न फ्रीज हो इसके लिए परदे के पीछे से राजनीतिक चाल चली. यह सब महाराष्ट्र और देश ने देखा. शिवसेना न रहे और शिवसेना से जो जहर बाहर निकला है, उस विष को ‘बासुंदी’ का दर्जा देने का जो हाल में प्रयास जारी है, उससे कटुता की धार कैसे कम होगी? 


आगे लिखा, राज्य में कटुता है और उसे दूर करना चाहिए ये विचार देवेंद्र फडणवीस के मन में उठा जो महत्वपूर्ण है. फडणवीस के इन विचारों से हम सहमत हैं. नेपोलियन, सिकंदर भी हमेशा के लिए नहीं टिके. राम-कृष्ण भी आए और गए तो हम कौन? फडणवीस, आपके मन में आ ही गया है तो कटुता खत्म करने का बीड़ा उठा ही लीजिए! लग जाइए काम पर.


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