गांधी परिवार की सुरक्षा को लेकर शिवसेना ने सरकार पर उठाए सवाल, इंदिरा को बताया ‘शहीद’, राजीव को ‘बलिदानी’
शिवसेना ने कहा है, ‘’इंदिरा गांधी किसी एक पार्टी की नहीं थीं. वे राष्ट्र की थीं. ये जिसे स्वीकार है, उन्हें इस बात को गंभीरता से स्वीकार करना होगा. सच कहें तो देश में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और अन्य नेता आज भी सुरक्षा का ‘पिंजरा’ लेकर घूमते हैं. इसका मतलब ये है कि देश आज भी सुरक्षित नहीं है.''
नई दिल्ली: शिवसेना ने मोदी सरकार की तरफ से गांधी परिवार की ‘एसपीजी’ सुरक्षा हटाकर उन्हें ‘जेड प्लस’ सुरक्षा देने पर सवाल उठाए हैं. पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि कांग्रेस या गांधी परिवार से राजनीतिक विवाद या मतभेद हो सकता है. लेकिन किसी की जान से मत खेलो और सुरक्षा व्यवस्था का मजाक मत बनाओ. सामना में शिवसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘शहीद’ और राजीव गांधी को ‘बलिदानी’ बताया है.
सामना में शिवसेना ने लिखा है, ‘’इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं, उस समय उनके सुरक्षा रक्षकों ने उनकी हत्या कर दी. खालिस्तानी आतंकवादी स्वर्ण मंदिर में घुस गए थे और स्वघोषित संत भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर से देश के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था. भिंडरावाले को पाकिस्तान और चीन का खुला समर्थन प्राप्त था. इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में फौज घुसाकर भिंडरावाले का खात्मा किया. उसके बदले के रूप में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. राजीव गांधी को तमिल आतंकियों ने मारा. तमिलनाडु की एक प्रचार सभा में इस उम्दा नेता की निर्मम हत्या कर दी गई इसलिए बाद में गांधी परिवार को विशेष सुरक्षा व्यवस्था दी गई. हालांकि अब गांधी परिवार को खतरा नहीं होने का कारण बताकर उनकी सुरक्षा व्यवस्था सरकार ने कम कर दी है.’’
इंदिरा शहीद हैं ही, राजीव गांधी ने भी बलिदान दिया- शिवसेना
शिवसेना ने कहा है, ‘’कांग्रेस या गांधी परिवार से राजनीतिक विवाद या मतभेद हो सकता है. नेहरू खानदान से गत 5 वर्षों में यह बैर कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. लेकिन किसी की जान से मत खेलो और सुरक्षा व्यवस्था का मजाक मत बनाओ. ‘गांधी’ परिवार की जगह और कोई होता तो भी हम इससे कुछ अलग नहीं कहते. इंदिरा गांधी शहीद हैं ही, उसी प्रकार राजीव गांधी ने भी बलिदान दिया है.’’
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पार्टी ने आगे कहा, ‘’राजीव गांधी ने जब श्रीलंका से शांति समझौता किया, उसी समय उनकी जान को खतरा होने की संभावना शिवतीर्थ की एक सभा में शिवसेनाप्रमुख ने जताई थी. राजीव गांधी द्वारा किए गए शांति समझौते पर मतभेद तो था ही लेकिन उस समय उस समझौते को करने के पीछे सरकार की भी अपनी एक नीति थी. सवाल इतना ही है कि इन मामलों के परिप्रेक्ष्य में गांधी परिवार की सुरक्षा हटा ली गई और इस पर बोलनेवालों को संसद में बोलने तक नहीं दिया गया.’’
सुरक्षा का ‘पिंजरा’ लेकर घूमते हैं पीएम और गृहमंत्री- शिवसेना
शिवसेना ने यह भी कहा है, ‘’इंदिरा गांधी किसी एक पार्टी की नहीं थीं. वे राष्ट्र की थीं. ये जिसे स्वीकार है, उन्हें इस बात को गंभीरता से स्वीकार करना होगा. सच कहें तो देश में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और अन्य नेता आज भी सुरक्षा का ‘पिंजरा’ लेकर घूमते हैं. इसका मतलब ये है कि देश आज भी सुरक्षित नहीं है. सुरक्षा व्यवस्था की परवाह न करते हुए सीधे लोगों के बीच जानेवाले नेहरू, गांधी और पटेल जैसे नेता आज नहीं हैं. आज देश की सर्वोत्तम सुरक्षा व्यवस्था वाले नेताओं में हिंदुस्थान के प्रधानमंत्री मोदी का नाम ऊपरी क्रम में है. जनता भी सुरक्षित नहीं है.’’
शिवसेना ने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘’विरोधियों की सुरक्षा हटा ली जाती है और सत्ताधारी लोगों की सुरक्षा बढ़ा दी जाती है. जब कोई उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रभारी बन जाता है तो उसे सुरक्षा दी जाती है. जब कोई महाराष्ट्र का प्रभारी बनता है तो किसी दूसरे राज्य को जीतने के लिए नियुक्त किए जाने के कारण उसे ‘जेड प्लस’ आदि सीआरपीएफ की विशेष सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. ये सत्ता का दुरुपयोग है. महाराष्ट्र में गत ५ सालों में ऐसे कई लोगों को सुरक्षा देकर सरकारी तिजोरी पर भार बढ़ाया गया है.’’
गांधी परिवार के काफिले में पुरानी गाड़ियां भेजना भी चिंताजनक- शिवसेना
पार्टी ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मंत्री और अन्य सत्ताधारी नेता सुरक्षा का ‘पिंजरा’ छोड़ने को तैयार नहीं हैं और बुलेटप्रूफ गाड़ियों का महत्व कम नहीं हुआ है. इसका मतलब गांधी परिवार की सुरक्षा को लेकर उठाया गया सवाल है. गांधी परिवार के सुरक्षा काफिले में पुरानी गाड़ियां भेजने की खबर भी चिंताजनक है. खतरे की घंटी बज रही होगी तो प्रधानमंत्री मोदी को इस पर ध्यान देना चाहिए.’’
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