मुंबई: महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उलझन में है. शिवसेना की उलझन को कारण है कि वह नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करे या फिर विरोध. जब से ये कानून बना है तब से शिवसेना तीन बार अपने रुख में बदलाव कर चुकी है. अब हाल ही में उद्धव ठाकरे ने फिर से एक बार इस कानून के समर्थन का एलान किया है.


इन दिनों शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे के इंटरव्यू की श्रृंखला चल रही है. इस इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून की वजह से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी. ये कानून पड़ोसी देशों के प्रताड़ित लोगों को नागरिकता देने के लिए है. उद्धव ठाकरे का सामना में दिया गया ये ताजा बयान उस उलझन की ओर इशारा करता है जो नागरिकता संशोधन कानून को लेकर शिवसेना में पैदा हुई है.


जब ये कानून संसद में लाया जा रहा था उस वक्त लोकसभा में तो शिवसेना ने बिल का समर्थन किया लेकिन राज्यसभा में वोटिंग के वक्त शिवसेना सदन से बाहर हो गई. गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर चुटकी लेते हुए शिवसेना से सवाल भी किया था कि आखिर रातों-रात ऐसी कौन सी मजबूरी हो गई कि शिवसेना को इस कानून को लेकर अपना रुख बदलना पड़ा. इसके बाद सामना में भी कई बार नागरिकता संशोधन कानून की निंदा की जा चुकी है.


ठाकरे ने कहा कि एनआरसी की वजह से हिंदू और मुसलमानों दोनों को अपनी नागरिकता साबित करने में दिक्कत आएगी. अब से चंद दिनों पहले मुस्लिम नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल उद्धव ठाकरे से मिला था उस मुलाकात में ये मांग की गई थी कि केरल और पंजाब की तरह महाराष्ट्र में भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया जाए. उद्धव ठाकरे ने ऐसा किए जाने का उन्हें कोई भरोसा नहीं दिलाया था.


माना जा रहा है कि इस कानून को लेकर शिवसेना के रुख में बार-बार बदलाव इसलिए हो रहा है क्योंकि वो महाराष्ट्र में विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर सरकार चला रही है. महाराष्ट्र में सत्ता की साझेदार कांग्रेस और एनसीपी ने इस कानून का कड़ा विरोध किया है. यही वजह है कि उद्धव ठाकरे खुलकर इस कानून के समर्थन में नहीं बोल पा रहे हैं और राज्यसभा में शिवसेना के विरोध के पीछे भी यही सियासी कारण माना जा रहा है.


सामना में दिए गए इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व को लेकर भी अपनी बात रखी. बीजेपी की ओर से ये आरोप लगातार लगाया जा रहा है कि शिवसेना ने हिंदुत्व को छोड़ दिया. उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्होंने अपना धर्मांतरण नहीं कराया है और हिंदुत्व की परिभाषा बीजेपी ना तय करे. शिवसेना अभी हिंदुत्व के मुद्दे पर अड़ीग है.


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