नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही अयोध्या में राम मंदिर के मसले पर सियासत तेज हो गई है. शिवसेना ने कहा कि अयोध्या के विवादित स्थल पर मोदी सरकार को अब राम मंदिर का निर्माण करना चाहिए. महाराष्ट्र और केंद्र में सरकार में शामिल होने के बावजूद शिवसेना कई मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरती रही है. इस बीच शिवसेना ने एक कदम आगे बढ़कर राम मंदिर की पैरवी की है.


शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने इससे पहले कहा था कि, ''जिस तरह केंद्र सरकार तीन तलाक के खिलाफ कानून और एससी/एसटी एक्ट के कानून में संशोधन लेकर आई, उसी तरह उसे अयोध्या के राम मंदिर पर भी अध्यादेश लेकर आना चाहिए, और सरकार को साहस दिखाकर अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर का निर्माण शुरू कराना चाहिए.  तो वहीं अब उन्होंने कहा है कि राम मंदिर पर कानून अगर अभी नहीं बना तो कभी नहीं बन पाएगा. राउत ने कहा कि, 'अगर आज कानून नहीं बनाया गया तो बाद में कभी नहीं बन पाएगा.' उन्होंने कहा, 'आज हमारे पास बहुमत है, हम नहीं जानते 2019 के बाद स्थिति क्या होगी. कोर्ट राम मंदिर विवाद का हल नहीं निकाल सकता क्योंकि यह विश्वास का मामला है. यह राजनीतिक इच्छाशक्ति का मामला है और पीएम नरेंद्र मोदी ऐसा कर सकते हैं.'


राउत ने इससे पहले कहा था कि, ईरान और पाकिस्तान जैसे देशों में मस्जिदों को ढहाने के उदाहरण रहे हैं. इस सच्चाई को मुसलमानों को स्वीकार करना चाहिए. जिस दिन यह हो जाएगा, यह वोट बैंक की राजनीति को तगड़ा झटका होगा.


वहीं विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने भी कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये जागरूकता फैलाने और जनमत तैयार करने के लिये परिषद इस सप्ताह से देश के हर राज्य के राज्यपाल को ज्ञापन देगी और संसद में कानून बनाने के लिये नवंबर में सांसदों पर दबाव बनायेगी.


विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष ने कहा था, ‘‘राम मंदिर का चुनाव से कोई संबंध नहीं है बल्कि यह करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा विषय है . सभी कानूनी बाधाओं को दूर करते हुए राम मंदिर का जल्द से जल्द निर्माण होना चाहिए. ’’ उन्होंने कहा कि इसके दो रास्ते हैं. पहला रास्ता है कि इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट निर्णय करे और दूसरा रास्ता संसद में कानून बनाकर मंदिर निर्माण करने का है.