राम मंदिर पर सियासत तेज, शिवसेना बोली- बात नहीं करे, अध्यादेश लेकर आए मोदी सरकार
शिवसेना ने आज कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार तीन तलाक के खिलाफ कानून लेकर आई, उसी तरह उसे राम मंदिर पर भी अध्यादेश लेकर आना चाहिए.
नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही अयोध्या में राम मंदिर के मसले पर सियासत तेज हो गई है. शिवसेना ने आज कहा कि राम मंदिर पर मोदी सरकार को अध्यादेश लेकर आना चाहिए. महाराष्ट्र और केंद्र में सरकार में शामिल होने के बावजूद शिवसेना कई मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरती रही है. इस बीच शिवसेना ने एक कदम आगे बढ़कर राम मंदिर की पैरवी की है.
शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा, ''जिस तरह केंद्र सरकार तीन तलाक के खिलाफ कानून और एससी/एसटी एक्ट के कानून में संशोधन लेकर आई, उसी तरह उसे अयोध्या के राम मंदिर पर भी अध्यादेश लेकर आना चाहिए. लोकसभा से लेकर राज्य विधानसभा में हमारी बहुमत है. यहां तक की हमारे पास अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने के लिए हमारे राष्ट्रपति भी हैं. तो सरकार को बात करने की बजाय, अध्यादेश लाना चाहिए.''
वहीं विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये जागरूकता फैलाने और जनमत तैयार करने के लिये परिषद इस सप्ताह से देश के हर राज्य के राज्यपाल को ज्ञापन देगी और संसद में कानून बनाने के लिये नवंबर में सांसदों पर दबाव बनायेगी.
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विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष ने कहा, ‘‘राम मंदिर का चुनाव से कोई संबंध नहीं है बल्कि यह करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा विषय है . सभी कानूनी बाधाओं को दूर करते हुए राम मंदिर का जल्द से जल्द निर्माण होना चाहिए. ’’ उन्होंने कहा कि इसके दो रास्ते हैं. पहला रास्ता है कि इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट निर्णय करे और दूसरा रास्ता संसद में कानून बनाकर मंदिर निर्माण करने का है.
आलोक कुमार ने कहा कि दिसंबर माह में राम मंदिर निर्माण के लिये देशभर के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर यज्ञ, पूजा और अनुष्ठान होंगे. ध्यान रहे कि विश्व हिन्दू पारिषद ने राम मंदिर पर आगे की रणनीति पर विचार के लिये पांच अक्टूबर को संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक बुलाई थी जिसमें संतों ने इस वर्ष के अंत तक कानून बनाने का मार्ग प्रशस्त करने को कहा था.
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