Shiv Sena in Saamana: शिवसेना ने एक बार फिर अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिए सियासी विरोधियों पर जोरदार हमला बोला है. 'सामना' के संपादकीय में बीजेपी पर जोरदार प्रहार किया गया है तो वहीं RSS की काली टोपी पर भी सवाल दागे गए हैं. ये संपादकीय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की रैली के इर्द गिर्द है. इसमें कहा गया है कि शिवसेना को कमजोर आंकने और नीचे खींचने का दुस्साहस भारी पड़ेगा.


सामना में लिखा गया कि मुंबई में शिवसेना की शानदार सभा हुई. शिवसेना की सभाओं में जुटनेवाली भीड़ का आंकलन आज तक कोई नहीं कर पाया है. बीकेसी के खुले मैदान में हुई सभा की शुरुआत बांद्रा में थी तो उसका दूसरा छोर कुर्ला के पार चला गया था. लिहाजा विरोधी पार्टी के भीड़ पंडितों की भी बोलती बंद हो गई है.


'सामना' के जरिए विरोधियों पर प्रहार


संपादकीय में आगे लिखा गया है कि सभा में भीड़ सिर्फ उसी मैदान पर नहीं थी. सभास्थल पर लाखों लोग थे. उतने ही लोग बाहर फंसे पड़े थे और आस-पास की सड़कों पर भी भीड़ की तूफानी लहर मानो उफान मार रही थी. शिवसेना पहले वाली नहीं रह गई है, ऐसा दुष्प्रचार करनेवालों की जुबान पर यह महासागर देखकर ताला लग गया है. शिवसेना मतलब सदैव उबलते गर्म खूनवाली पीढ़ी ही है. पीढ़ियां बदलती गईं फिर भी उबलनेवाला गर्म खून वही है. शिवसेना के राजनीतिक विरोधियों का आकलन कम पड़ रहा है इसलिए शिवसेना के संदर्भ में उनका अनुमान रोज ही गलत साबित हो रहा है. कल की महाप्रचंड सभा ने तो सभी विरोधियों की मिट्टी पलीद कर दी. सभा की भीड़ देखकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी उत्साहित होकर बोले और उनकी एक-एक फटकार से विरोधियों के एक-एक दांत मुंह में चले गए.


बीजेपी पर हमला


फडणवीस जैसे बीजेपी के नेता इस सभा की तुलना ‘कटाक्ष सभा’, ‘कटाक्ष बम’ इस तरह से कर रहे थे. एक बार के लिए इसे सत्य मान लें. ठाकरे के सिर्फ ‘कटाक्ष’ ही इतने भारी होंगे तो प्रत्यक्ष घाव, प्रहार और हमला कितना भयंकर होगा? जिस तरह से कटहल छीलते हैं, उसी तरह उद्धव ठाकरे ने विरोधियों को छील डाला. कश्मीर में फिलहाल हिंदू पंडितों पर ही नहीं, बल्कि देशभक्त नागरिकों पर आतंकियों के अमानवीय हमले शुरू हो गए हैं. राहुल भट्ट नामक कश्मीरी पंडित युवक पर आतंकियों ने सरकारी कार्यालय में घुसकर हमला किया और कत्ल कर दिया. इसके बाद कश्मीर का हिंदू समाज सड़क पर उतर आया. पुलिस ने हिंदुओं पर आंसू गैस के गोले दागे. हिंदू समाज ने मोदी-शाह के खिलाफ नारेबाजी की. उद्धव ठाकरे ने इन हालातों को लेकर केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछे, ‘राहुल भट को जहां मारा, वहां अब ‘हनुमान चालीसा’ पढ़ी जाए क्या?’ कंगना रनौत से नवनीत राणा तक सभी को केंद्र सरकार ने एकदम खास सुरक्षा उपलब्ध कराई है. 


'राहुल भट्ट जैसे लोगों को सुरक्षा क्यों नहीं'?


सामना के जरिए सुरक्षा को लेकर भी तंज कसा गया है. महाराष्ट्र के संदर्भ में बात की जाए तो केंद्रीय सुरक्षा व्यवस्था का ‘सेल’ लगा है अथवा काला बाजार ही चल रहा है. शिवसेना, राष्ट्रवादी नेताओं के खिलाफ अनाप-शनाप बोलो और केंद्रीय सुरक्षा का खास दस्ता हासिल करो, ऐसा ‘पैकेज’ जारी किया गया है. महाराष्ट्र में कई ओछे लोगों को केंद्र द्वारा सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है, यह मजेदार ही है. परंतु कश्मीर में राहुल भट्ट जैसे लोगों को किसी तरह की सुरक्षा नहीं है और वे दिनदहाड़े मार दिए जा रहे हैं. उद्धव ठाकरे का यह मुद्दा बेजोड़ है. भगवा टोपी पहननेवालों को आप प्रखर हिंदुत्ववादी मानते हैं. फिर आरएसएस की टोपी काली कैसे? इस सवाल का जवाब अब संघ को देना होगा. 


केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप


सामना के जरिए केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया गया है. केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके बीजेपी राजनीतिक विरोधियों को खत्म कर रही है. झूठे रास्तों से हमारे पीछे पड़नेवाले होंगे तो आपके प्रति भी दया-माया-क्षमा नहीं दिखाएंगे. महाराष्ट्र से भागने को मजबूर कर देंगे, ऐसी चेतावनी ठाकरे ने दी. फिलहाल दाऊद के नाम पर राजनीति चल रही है परंतु अगर कल दाऊद कहेगा मैं भी बीजेपी में आता हूं तो तुरंत ही शुद्ध हो जाएगा. वह मंत्री की हैसियत से बीजेपी नेताओं के साथ सटकर बैठा तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.


राज ठाकरे पर तंज


इसके साथ ही संपादकीय के जरिए राज ठाकरे पर भी तंज कसा गया है. राज ठाकरे की राजनीति भ्रमित होने जैसी हो गई है और बीजेपी उनका इस्तेमाल कर रही है. खुद में बालासाहेब ठाकरे के आने जैसा भाव लाकर वे घूम रहे हैं, इसके पीछे बीजेपी का खेल है. फटे हुए ट्यूब में ऐसी हवा भरने से हिंदुत्व की बयार कैसे बहाओगे? देश में महंगाई, बेरोजगारी की आग भड़क रही है. मोदी अनाज मुफ्त बांट रहे हैं परंतु गैस की कीमतें हजार के पार पहुंच गई हैं इसलिए खाना पकाएं कैसे ? उस महंगाई पर बात करें या भोंगे और ‘हनुमान चालीसा’ पर लड़ें? बीजेपी को कोई हिंदुत्व की ठेकेदारी नहीं मिली है. भाजपा का हिंदुत्व जहरीला, शातिर और विकृत होने का प्रहार ठाकरे करते हैं तब इसके आगे शिवसेना-बीजेपी का रिश्ता क्या होगा, इसका खुलासा हो जाता है. 


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