कोरोना के एक बार फिर से बढ़ते मामलों के बीच शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखी. उन्होंने सरकार से मांग की है कि अगर हमारे देश में वैक्सीन ज्यादा मात्रा में तैयार है और लोग लगवाने में हिचक रहे हैं तो इस वैक्सीन को खुले बाजार में लाना चाहिए.


प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार को वैक्सीन की कीमत नियंत्रित करनी चाहिए जिससे कि जरूरतमंद लोग इस वैक्सीन को लगवा कर खुद को सुरक्षित कर सकें. प्रियंका ने कहा कि जिस कोविन एप के जरिए वैक्सीन देने के लिए बुलाया जा रहा है उसमें तकनीकी तौर पर कई सारी दिक्कतें सामने आ रही है. जिसके चलते जो लोग वैक्सीन लेना भी चाहते हैं उनको तय वक्त पर जानकारी नहीं मिल पा रही. इसके चलते ज़रूरतमंद लोग वैक्सीन नहीं ले पा रहें.


करीबन 25 हजार स्वास्थ्य कर्मियों का नहीं हो पाया कोविन ऐप पर रजिस्ट्रेशन- प्रियंका


प्रियंका चतुर्वेदी ने इसके लिए महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में करीबन 25,000 स्वास्थ्य कर्मियों का कोविन ऐप पर रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पाया जिसके चलते वह लोग वैक्सीन लेने से वंचित हो रहे हैं. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने स्वास्थ्य मंत्रालय से मांग की है कि इस वैक्सीन को डी रेगुलेट किया जाए. यानी कि इसको खुले बाजार में लाया जाए.


सरकार उसकी अधिकतम कीमत तय कर दें जिससे कि लोग इसमें जमाखोरी और मुनाफाखोरी ना कर सके. अगर सरकार ऐसा करती है तो इससे उन लोगों को भी वैक्सीन मिल सकती है जो लगवाना तो चाहते हैं लेकिन मिल नहीं पा रही. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अगर हमारे देश में वैक्सीन ज्यादा तैयार हो रही है और हमको उस वैक्सीन को दूसरे देशों को भेजना पड़ रहा है तो उससे पहले अपने देश के लोगों को सुरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी बनती है.


बीमारी अब भी तेजी से फैल रही है- प्रियंका


शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने महाराष्ट्र में बढ़ते हुए मामलों में एक बार फिर से लॉकडाउन की बात पर कहा कि महाराष्ट्र ही नहीं देश भर में लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की है कि वह खुद अपनी जिम्मेदारी समझे क्योंकि भले ही इसकी वैक्सीन तैयार हो गई हो लेकिन अभी भी है बीमारी तेजी से फैल रही है. लिहाजा लोगों को जागरूक रहना होगा जिससे कि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके.


प्रियंका चतुर्वेदी ने यह बताने के लिए rt-pcr का उदाहरण देते हुए कहा कि जब आरटी पीसीआर टेस्ट की कीमत ज्यादा थी तो टेस्ट बड़ी संख्या में नहीं हो पा रहे थे. लेकिन जैसे ही टेस्ट की कीमत कम की गई और निजी लैब में टेस्ट होने शुरू हुए अचानक टेस्ट की संख्या खुद-ब-खुद बढ़ती चली गई और उससे इस बीमारी से निपटने में मदद मिली. इसी तरह से वैक्सीन को लेकर भी सरकार को कदम उठाने चाहिए जिससे कि कोरोना से लड़ने में मदद मिल सके.


गौरतलब है कि कल ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐलान किया है कि 1 मार्च से 60 साल से ऊपर के उम्र वाले लोगों को वैक्सीन मिलनी शुरू हो जाएगी. इसके साथ ही 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को जिनमें कोमोरबिडिटी का इतिहास रहा है उनको भी इसमें शामिल किया जाएगा. इसके लिए 10,000 सरकारी सेंटर और करीबन 20,000 निजी सेंटर को तैयार किया जा रहा है.


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