विपक्ष के साझा बयान से शिवसेना ने किया किनारा, उद्धव ने 6 घंटे कराया शरद पवार-सोनिया गांधी को इंतजार
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की सहमति के लिए एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 6 घंटे इंतजार किया और आखिर में उद्धव ठाकरे के बिना बयान जारी कर दिया.
विपक्ष के 13 नेताओं ने शनिवार को देश में हुई हालिया सांप्रदायिक हिंसा और हेटस्पीच की घटनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई और लोगों से शांति व सद्भाव बनाए रखने की अपील की. विपक्षी नेताओं ने इन मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'चुप्पी' पर भी सवाल उठाए. हालांकि विपक्ष के इस साझा बयान से शिवसेना ने किनारा कर लिया.
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की सहमति के लिए एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 6 घंटे इंतजार किया और आखिर में उद्धव ठाकरे के बिना बयान जारी कर दिया. दरअसल शिवसेना मुस्लिम परस्त अजेंडे से अपने को दूर रखना चाहती हैं. अगर उद्धव ऐसा करते तो सीधे आक्रामक हो चुके राज ठाकरे और बीजेपी के निशाने पर आ जाते.
संयुक्त बयान में विपक्षी दलों ने क्या कहा
संयुक्त बयान में 13 विपक्षी दलों ने कहा है कि वे ‘क्षुब्ध’ हैं कि भोजन, वेशभूषा, आस्था, त्योहारों और भाषा जैसे मुद्दों का इस्तेमाल सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा समाज का ध्रुवीकरण करने के लिये किया जा रहा है.
यह बयान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत 13 नेताओं की ओर से जारी किया गया है.
संयुक्त बयान में विपक्ष के नेताओं ने कहा, ' हम प्रधानमंत्री की चुप्पी को लेकर स्तब्ध हैं जोकि ऐसे लोगों के खिलाफ कुछ भी बोलने में नाकाम रहे, जो अपने शब्दों और कृत्यों से कट्टरता फैलाने और समाज को भड़काने का काम कर रहे हैं. यह चुप्पी इस बात का तथ्यात्मक प्रमाण है कि इस तरह के निजी सशस्त्र भीड़ को आधिकारिक संरक्षण प्राप्त है.'
एकजुट होकर सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने का अपना संयुक्त संकल्प जताते हुए विपक्षी नेताओं ने कहा, 'हम उस जहरीली विचारधारा से मुकाबले करने संबंधी अपने संकल्प को दोहराते हैं जोकि हमारे समाज में फूट डालने की कोशिश कर रही है.' गौरतलब है कि 10 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर देश के कुछ हिस्सों से सांप्रदायिक हिंसा की खबरें सामने आयी थीं.
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