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उद्धव को अब भी उम्मीद, अंतरिम राहत पर शिंदे की सल्तनत; 8 महीने में और कैसे उलझा शिवसेना का विवाद?

विधायकों की अयोग्यता का मामला 8 महीने से सुप्रीम कोर्ट में है और अंतरिम राहत पर शिंदे ने सरकार बना ली. चुनाव आयोग ने भी विधायकों के बहुमत के आधार पर ही सिंबल विवाद में फैसला दे दिया है.

20 जून 2022 से शुरू शिवसेना का विवाद 8 महीने बाद और उलझता जा रहा है. एकनाथ शिंदे को चुनाव आयोग की ओर से शिवसेना का सिंबल दिए जाने के फैसले को उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. शिवसेना विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच में लगातार दूसरे इस मामले की सुनवाई हुई. बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं.

मंगलवार (21 फरवरी) को सुनवाई के दौरान उद्धव गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट पर ही सवाल उठाया. सिब्बल ने कहा कि अगर आपने 27 जून को आदेश नहीं दिया होता तो शिवसेना विवाद में प्राकृतिक न्याय होता. सिब्बल की दलील सुनने के बाद बेंच ने पूछा कि अब इस मामले में क्या राहत दी जा सकती है.

शिवसेना के सिंबल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच अलग से सुनवाई करेगी.

उद्धव को अब भी उम्मीद, अंतरिम राहत पर शिंदे की सल्तनत; 8 महीने में और कैसे उलझा शिवसेना का विवाद?

सुप्रीम सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?

चीफ जस्टिस- आप बताइए इस केस में हम क्या आपको क्या राहत दे सकते हैं? यानी हम इस केस को किस दिशा में ले जाएं?

कपिल सिब्बल- डिप्टी स्पीकर को फैसला लेने देना चाहिए. नहीं तो आप ही अयोग्यता का फैसला कर दीजिए. राजेंद्र राणा वर्सेज स्वामी प्रसाद मौर्य केस में हुआ है.

चीफ जस्टिस- आप कह रहे हैं कि हम 39 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला डिप्टी स्पीकर को लेने दें. फिर मुख्यमंत्री का क्या होगा?

कपिल सिब्बल- अनुच्छेद 164 (1) के तहत मुख्यमंत्री पद पर नहीं रह सकते हैं. एकनाथ शिंदे को इस्तीफा देना होगा. बहुमत के आधार पर नए मुख्यमंत्री चुने जाएंगे. 

जस्टिस कोहली- आप चाहते हैं कि घड़ी की सुई को हम फिर से पीछे ले जाएं?

कपिल सिब्बल- नाबाम रोबियो केस में सुप्रीम कोर्ट ऐसा कर चुका है. उस वक्त पूरी सरकार बहाल कर दी गई थी. 

शिवसेना का विवाद कैसे उलझता गया?

1. अयोग्यता पर शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी- 27 जून को शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्यता के नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने शिंदे गुट को राहत दे दी और मामले में यथास्थिति बनाए रखने की बात कही. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के बाद शिवसेना का विवाद और अधिक बढ़ गया. 

सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि इसी आदेश की वजह से चुनी हुई सरकार को गिराई गई. अगर कोर्ट डिप्टी स्पीकर को कार्रवाई करने देता और फिर उसकी समीक्षा करता तो नौबत यहां तक नहीं आती.

2. राज्यपाल के आमंत्रण पर रोक नहीं- उद्धव सरकार गिरने के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल ने एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने का आमंत्रण दे दिया. जब शिंदे दावा पेश करने गए तो राज्यपाल ने उन्हें मिठाई भी खिलाई. राज्यपाल के इस कदम की खूब आलोचना भी हुई.

यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. कोर्ट ने मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हमने 10 दिन तक सुनवाई क्या टाली, आपने तो सरकार बना लिया. सरकार के पक्ष में जिन विधायकों ने वोटिंग किया, उनमें से अधिकांश विधायकों की सदस्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था. 

सिब्बल के मुताबिक राज्यपाल के आमंत्रण पर अगर सुप्रीम कोर्ट रोक लगाती तो स्थिति अभी कुछ और होता. सिब्बल ने कहा कि अगर कोर्ट अब भी चुप रहा तो भविष्य में चुनी हुई सरकार इसी तरह गिरेंगे. 

3. चुनाव आयोग को सिंबल पर फैसला लेने का अधिकार- 27 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया था, लेकिन उसी दिन चुनाव आयोग को सिंबल पर फैसला लेने का अधिकार दे दिया. 4 महीने बाद आयोग ने विधायकों के बहुमत को आधार बनाकर फैसला दे भी दिया. 

लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी लॉइव लॉ से बात करते हुए कहते हैं- आयोग ने सिंबल विवाद में बेसिक नियमों का भी पालन नहीं किया है. उन तथ्यों को इग्नोर कर दिया, जिसके आधार पर कोई राजनीतिक पार्टियां चलाई जाती है.

आचारी आगे कहते हैं- सादिक अली केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट फैसला दिया था, जिसे भी यहां पालन नहीं किया गया है. विधायक दल मिलकर कैसे पार्टी पर कब्जा कर सकता है?

4. 8 सवालों की लिस्ट पर सुनवाई में देरी- 27 सितंबर 2022 को शिवसेना विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच को भेजा गया था. केस से जुड़े 8 सवाल भी तैयार किए गए थे. इनमें डिप्टी स्पीकर के अधिकार, राज्यपाल की शक्ति, राजनीतिक दलों में विभाजन और चुनाव आयोग की भूमिका जैसे मुद्दे शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि इसी आधार पर फैसला दिया जाएगा. 

सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक पीठ गठन के बाद इस मामले में 2 सुनवाई हो चुकी है. मामले में उद्धव गुट ने 7 जजों की बेंच में मामला ट्रांसफर करने की मांग की थी. अभी इस मामले की सुनवाई 5 जजों की संवैधानिक पीठ कर रही है. 

उद्धव को सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद क्यों, 2 प्वॉइंट्स

1. अंतरिम राहत पर टिकी है शिंदे सरकार- सुप्रीम कोर्ट ने 27 जून को शिंदे गुट को अंतरिम राहत दी थी. 39 विधायकों की अयोग्यता का मामला अभी भी कोर्ट में ही है. उद्धव गुट को यहीं सबसे बड़ी उम्मीद दिख रही है. नाबाम रोबियो केस में सुप्रीम कोर्ट पूरी सरकार को बहाल कर चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट अगर 39 विधायकों को अयोग्य घोषित करता है, तो सिक्का ही पलट जाएगा. विधायकों के बहुमत के आधार पर ही सिंबल भी दिया गया है. इस फैसले से चुनाव आयोग में भी उद्धव को राहत मिल सकती है. 

2. उद्धव के पास खोने के लिए कुछ नहीं- सत्ता के बाद अब उद्धव ठाकरे के पास से पार्टी भी चली गई है. सिंबल विवाद में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है, तो कई जगहों पर शिवसेना का जो दफ्तर है, उस पर शिंदे गुट कब्जा कर लेगा. यानी उद्धव के पास अब खोने के लिए सियासी तौर पर बहुत कुछ नहीं बचा है.

ऐसे में उद्धव की आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट ही है. उद्धव ने इसलिए कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और देवदत्त कामत जैसे भारी-भरकम वकीलों की फौज उतार दी है. 

शिवसेना विवाद में अब आगे क्या हो सकता है? इसे विस्तार से समझा रहे हैं संविधान विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता...

सवाल- शिंदे को सिंबल मिलने के बाद शिवसेना को बचाने के लिए उद्धव के पास कोई विकल्प है?

विराग गुप्ता- चुनाव आयोग ने जो फैसला दिया है, उसमें प्राथमिक सदस्यों और संगठन के बहुमत के दावों पर विचार नहीं किया है. उद्धव इस दलील के सहारे सुप्रीम कोर्ट गई है. कोर्ट सादिक अली मामले में पहले ही सबकुछ स्पष्ट कर दिया है. अगर कुछ पेंच होगा तो मामले में फिर से सुनवाई होगी. लोकसभा के अगले चुनाव और विधानसभा चुनावों में जनता से मिले वोटों के आधार पर असली शिवसेना का निर्धारण होगा. 

सवाल- सुप्रीम कोर्ट में अयोग्यता मामले में सुनवाई की वजह से केस और अधिक उलझा है?

विराग गुप्ता- सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में ये आरोप लगाए हैं. स्पीकर की भूमिका, दल-बल कानून के तहत अलग हुए गुट को दो तिहाई या फिर दूसरे दल में विलय की जरूरत जैसे संवैधानिक और एकेडमिक पहलुओं पर विवाद चलता रहेगा. वहीं अयोग्यता के मामले में जल्द फैसला आने की उम्मीद है क्योंकि संवैधानिक पीठ के दो जज अगले दो महीने में रिटायर होने जा रहे हैं.

शिवसेना विवाद की क्रॉनोलोजी

20 जून 2022- एकनाथ शिंदे शिवसेना के 23 विधायकों के साथ गुजरात के सूरत पहुंचे.

23 जून 2022- शिंदे गुट ने 35 विधायकों के समर्थन का लेटर मीडिया को जारी किया.

25 जून 2022- डिप्टी स्पीकर ने शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस थमाया. 

26 जून 2022- सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा. कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया.

27 जून 2022- सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट को अंतरिम राहत प्रदान की. नोटिस पर कार्रवाई रोकी.

28 जून 2022- राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे से बहुमत साबित करने के लिए कहा.

29 जून 2022- उद्धव ठाकरे ने वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में इस्तीफा देने की घोषणा की.

30 जून 2022- एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बने. 

4 अगस्त 2022- शिंदे गुट ने उद्धव समर्थक विधायकों को अयोग्य करने के लिए स्पीकर को नोटिस दिया.

4 अगस्त 2022- सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तुरंत रोक लगाई. कोर्ट ने शिंदे गुट को फटकार भी लगाई.

12 अक्टूबर 2022- शिंदे और उद्धव गुट को चुनाव आयोग ने नया नाम और सिंबल दिया.

17 फरवरी 2023- चुनाव आयोग ने 4 महीने की सुनवाई के बाद शिवसेना की कमान शिंदे को सौंप दी.

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