Supreme Court: शिवसेना के उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे विवाद से जुड़े मामलों पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने सुनवाई की. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बैठी 5 जजों की बेंच ने कहा कि मसले पर विस्तृत सुनवाई की ज़रूरत है. इस सुनवाई की रूपरेखा 27 सितंबर को तय की जाएगी. लेकिन पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव आयोग में लंबित प्रक्रिया का मसला एक छोटा विषय है. सभी पक्षों की संक्षिप्त दलीलें सुन कर 27 सितंबर को ही उसका निपटारा कर दिया जाएगा.


बता दें कि 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने मामला 5 जजों की बेंच को सौंपा था. तब कोर्ट ने कहा था कि सबसे पहले संविधान पीठ यही तय करेगी कि शिवसेना के चुनाव चिह्न को लेकर दोनों गुटों के दावे पर चुनाव आयोग अपनी कार्रवाई जारी रखे या नहीं. कोर्ट ने फिलहाल आयोग से अपनी कार्रवाई रोके रखने को कहा है.


कई अहम सवालों पर होनी है सुनवाई
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों की बगावत और उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे से पैदा हुई स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं. इन याचिकाओं में शिंदे कैंप के 16 विधायकों की अयोग्यता, एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के निमंत्रण, सदन में नए स्पीकर के चुनाव की गलत प्रक्रिया जैसे कई मसले उठाए गए हैं. लेकिन अब इन सबसे अहम यह मसला हो गया है कि चुनाव आयोग ने असली शिवसेना अपने साथ होने के एकनाथ शिंदे कैंप के दावे पर कार्यवाही शुरू कर दी है और उद्धव ठाकरे गुट से जवाब मांगा है.


आयोग की कार्रवाई रोकने की मांग
उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग में पार्टी के चुनाव चिह्न के आवंटन को लेकर चल रही कार्रवाई रुकी रहनी चाहिए. सिब्बल ने दलील दी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों की अयोग्यता का मसला अभी लंबित है. ऐसे में उस पर फैसला हुए बिना चुनाव आयोग को असली पार्टी पर फैसला लेने से रोका जाना चाहिए.


शिंदे कैंप ने किया विरोध
शिंदे गुट के लिए पेश वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग अपने पास उपलब्ध कराए गए तथ्यों के आधार पर पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर फैसला लेता है. यह आयोग का संवैधानिक काम है. उसे इससे नहीं रोकना चाहिए.


वहीं चुनाव आयोग के वकील अरविंद दातार ने कहा कि आयोग अपना संवैधानिक दायित्व निभा रहा है. उसे नहीं रोका जाना चाहिए. आयोग यह नहीं देखता है कि कौन विधायक है, कौन नहीं. सिर्फ पार्टी सदस्य होना पर्याप्त है.


'अपनी ऊर्जा बचा कर रखें'
शिंदे और उद्धव के वकीलों की बहस के बीच बेंच के सदस्य जस्टिस एम आर शाह ने कहा, "आप लोग अपनी ऊर्जा 27 सितंबर के लिए बचा कर रखें." इसके बाद बेंच के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "सभी लोग 2-2 पन्ने की संक्षिप्त दलीलें जमा करवाएं. अगली सुनवाई में कोशिश की जाएगी कि इस मसले को हल कर दिया जाए."


 


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