शिवसेना ने विपक्षी एकजुटता के लिए यूपीए में बड़े बदलाव की वकालत की है. शिवसेना ने संपादकीय में लिखा है कि UPA का जो मालिकाना हक़ कोंग्रेस के पास है उसमें बदलाव किए बग़ैर विरोधी एकजुट होना संभव नहीं दिखाई देती. तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने इस पर शिवसेना से सवाल करते हुए पूछा है कि आखिर यूपीए है ही कहां?
महाराष्ट्र के बीजेपी सांसद राव साहब दानवे ने सामने के यूपीए नेतृत्व वाले विचार पर कहा कि शिवसेना महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही है, फिर भी ऐसी बातें कर रही है. मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है कि UPA का जो मालिकाना हक़ कोंग्रेस के पास है उसमें बदलाव किए बग़ैर विरोधी एकजुट होना संभव नहीं दिखाई देती.
सामना में आगे कहा गया है कि “ यूपीए’ का जीर्णोद्धार करना. ‘यूपीए’ का मालिकाना हक़ (सातबारा ) फिलहाल कांग्रेस के नाम पर है. उसमें हेरफेर किए बगैर विरोधियों का मजबूती से एकजुट होना संभव नहीं दिखता है. पांच राज्यों की पराजय के बाद कांग्रेस कम-से-कम आगे आकर ‘यूपीए’ के जीर्णोद्धार के लिए विरोधियों का आह्वान करेगी, ऐसी अपेक्षा सभी ने की थी.
संपादकीय में शिवसेना ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी की अपनी कुछ अंतर्गत पारिवारिक समस्या हो सकती है, परंतु ये समस्या विरोधियों की एकजुटता में बाधा न बने. शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी, केजरीवाल, के.सी. राव, एम.के. स्टालिन ये सभी प्रतिभावान व्यक्तित्व हैं और नई एकजुटता के संदर्भ में उनसे चर्चा करना जरूरी है. इसके लिए कांग्रेस ने अगुवाई नहीं की इसलिए ममता बनर्जी को आगे आना पड़ा. उन्होंने ‘प्रगतिशील’ शक्तियों से आह्वान किया है। प्रगतिशील मतलब फालतू सेक्यूलरवाद नहीं”. गौरतलब है कि इससे पहले UPA की घटक दल एनसीपी की युवा इकाई शरद पवार को UPA अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पास कर चुकी है.
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