मुंबई: केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने राम मंदिर के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) पर निशाना साधा है. वीएचपी ने कहा है कि वह चुनाव बाद राम मंदिर के मुद्दे पर फैसला करेगी. वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि संघ लोकसभा चुनाव के बाद राम मंदिर निर्माण शुरू कर देगा, चाहे केंद्र में किसी की भी पार्टी की सरकार बने. दोनों ही संगठनों के फैसले पर शिवसेना ने सामना में लेख लिखकर निशाना साधा है.


शिवसेना ने कहा, ''अयोध्या के राम मंदिर के बारे में मोदी सरकार टालमटोल कर रही है. अब विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी राम मंदिर के मामले में मुंह छिपाना शुरू कर दिया है. केंद्र में किसी की भी सरकार हो लोकसभा चुनाव के बाद ‘संघ’ राम मंदिर का निर्माण शुरू करेगा, ऐसा सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने घोषणा की है. दो दिन पहले विश्व हिंदू परिषद ने इसी तरह की बात रखी. इसका अर्थ ऐसा है कि राम मंदिर के मामले को हिंदुत्ववादी संगठनों ने ही लपेटकर रखा हुआ है.''


शिवसेना ने कहा, ''2019 के चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा मोदी परिवार के लिए मुसीबत न बन जाए इसलिए संघ परिवार ने यह रुख अपनाया है क्या? राम मंदिर राजनीतिक मुद्दा न बने और मोदी परिवार को लोगों के सामने जाते समय मुश्किलें पैदा न हों, ऐसा अब दिखाई देता है.''


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पार्टी ने कहा, ''चुनाव के बाद मंदिर का मामला देखेंगे, मतलब क्या देखेंगे? मोदी सरकार २०१९ के पहले अध्यादेश निकालकर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू करे, ऐसी श्री मोहनराव भागवत की ही मांग थी. विश्व हिंदू परिषद ने देशभर में जो सभाएं धर्म संसद के बैनर तले कीं, उसमें की प्रमुख मांग भी अयोध्या में राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने की थी.''


शिवसेना ने कहा, ''2019 के चुनाव में बहुमत मिलेगा, ऐसा नहीं लगता. इसलिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की राम मंदिर के बारे में निश्चित तौर पर भूमिका क्या है? उन्हें राम मंदिर चाहिए या नहीं? इसे अभी समझना होगा. ये दोनों नेता ‘बाबरी’वादी हैं तथा पासवान ने मंदिर के मामले में हमेशा विरोधी भूमिका अपनाई इसीलिए आज बीजेपी के पास बहुमत है. इसलिए आज ही इस मामले पर निर्णय हो जाए, यह हमारी मांग है ही.''