Shiv Sena Symbol Row: शिवसेना पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे को दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उद्धव ठाकरे ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग का फैसला रद्द करने की मांग की है. उद्धव का कहना है कि विधायक दल में हुई टूट को पार्टी की टूट कहना गलत है. चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 31 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करेगा. 


उद्धव ठाकरे की याचिका में क्या कहा गया
उद्धव ठाकरे ने अपनी याचिका में दावा किया है कि चुनाव आयोग का एकनाथ शिंदे को चुनाव चिन्ह सौंपने का फैसला कानूनी गलतियों से भरा है और आयोग ने सिंबल ऑर्डर के पैराग्राफ 15 के तहत मिली शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है. याचिका में आगे कहा गया है कि आयोग ने विधायक दल में हुई टूट को पार्टी में हुई टूट मान लिया. वहीं चुनाव आयोग ने इस बात की भी उपेक्षा कर दी कि एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायक पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते सदस्यता के अयोग्य करार दिए जा सकते हैं.


इसके अलावा याचिका में यह दावा भी किया गया है कि साल 2018 में शिवसेना पार्टी का संविधान बदला गया था. इसके तहत अध्यक्ष को काफी शक्तियां दी गई थीं लेकिन चुनाव आयोग ने यह कहते हुए इसे मानने से मना कर दिया कि उसे आधिकारिक तौर पर पार्टी संविधान में बदलाव की जानकारी नहीं दी गई थी.


क्या है पूरा मामला
दरअसल, पिछले साल शिवसेना में हुई बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. पार्टी पर कब्जे को लेकर भी एकनाथ शिंदे ने दावा किया था, जिसके बाद 17 फरवरी को चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिह्न 'तीर-धनुष' और पार्टी के नाम पर शिंदे पक्ष के दावे को सही माना था.


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