नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है लेकिन अभी भी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में है. इसी के तहत कल पहली बार एनसीपी और कांग्रेस नेताओं के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा हुई. देर रात तक चर्चा चलती रही, बताया गया कि पहले आपस में मुद्दे तय करेंगे फिर शिवसेना के साथ बातचीत होगी.
इस बीच आज एक बार शिवसेना ने महाराष्ट्र की राजनीतिक परिस्थिति के लिए बीजेपी पर हमला बोला है. मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने आज कहा कि मुख्यमंत्री ने चिंता व्यक्त की है कि राजनीतिक अस्थिरता के कारण महाराष्ट्र में होनेवाले निवेश पर विपरीत परिणाम होगा. ये उनका मिथ्या विलाप है. सामना में लिखा है कि ठीक है. हमने थोड़ा समय मांगा लेकिन दयालु राज्यपाल ने अब राष्ट्रपति शासन लागू करके बहुत समय दिया है. मानो महाराष्ट्र पर जो राष्ट्रपति शासन का सिलबट्टा घुमाया गया है उसकी पटकथा पहले से ही लिखी जा चुकी थी.
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राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाते हुए सामना में लिखा, ''महाराष्ट्र का आकार और इतिहास भव्य है. यहां टेढ़ा-मेढ़ा कुछ नहीं चलेगा. इतने बड़े राज्य में सरकार स्थापना करने के लिए आप ४८ घंटे भी नहीं दे रहे होंगे तो ‘दया, कुछ तो गड़बड़ है’, जनता को ऐसा लग सकता है. छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लाद दिया लेकिन सरकार स्थापना के लिए दो दिनों की मोहलत नहीं बढ़ाई. ''
शिवसेना ने राष्ट्रपति शासन के फैसले को खेल बताते हुए लिखा है कि इसके पीछे कोई अदृश्य शक्ति का हाथ था. सामना में लिखा है, ''जो शिवसेना के साथ हुआ वही राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ भी हुआ. राष्ट्रवादी कांग्रेस को सत्ता स्थापना के लिए रात साढ़े आठ बजे तक की मोहलत दी गई थी. लेकिन थोड़ी मोहलत बढ़ाने और रात साढ़े आठ की बात तो छोड़िए दोपहर में ही राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर डाली. कम-से-कम आपने जो समय दिया था तब तक तो रुक जाते लेकिन मानो कोई ‘अदृश्य शक्ति’ इस खेल को नियंत्रित कर रही थी और उसके आदेशानुसार ही सारे निर्णय लिए जा रहे थे. ''
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शिवसेना ने कहा, ''राजभवन के हाथ में ‘इक्का’ नहीं था, फिर भी उन्होंने उसे फेंका. जुए में ऐसे जाली पत्ते फेंककर दांव जीतने का प्रयास अब तक सफल नहीं हुआ है और महाराष्ट्र जुए में लगाने की ‘चीज’ नहीं है. सरकारें आएंगी, जाएंगी लेकिन अन्याय और ढोंग से लड़ने की महाराष्ट्र की प्रेरणा अजेय है.''