वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट पेश किया. बजट को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं. शिवसेना (UBT) ने भी मुखपत्र सामना के जरिए केंद्र पर निशाना साधा है. सामना में शिवसेना ने इसे सत्ता को बचाए रखने वाला बजट बताया. इतना ही नहीं शिवसेना ने कहा कि डगमगाती कुर्सीको बचाने के लिए मोदी सरकार को मशक्कत करनी पड़ रही है. कुर्सी के दो पाए बने दो राज्यों बिहार और आंध्र प्रदेश को बजट में से बड़ी खैरात बांटी गई. शिवसेना ने पूछा कि क्या अन्य राज्यों ने केंद्र की भैंसें चुराई हैं?


सामना में शिवसेना ने लिखा, जिस तरह सपने देखने में पैसे नहीं लगते, उसी तरह सपने दिखाने में भी पैसे नहीं लगते. इसलिए मोदी शासन का एक ही मूल मंत्र है कि देशवासियों को सिर्फ सपनों में गाफिल कर सत्ता का रथ हांकना  2014 से 2024 तक मोदी सरकार ने हर बजट में जनता को ऐसे ही सपनों में डुबोए रखा. केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में लगातार सातवीं बार केंद्रीय बजट पेश करते हुए भी यही किया.  


शिवसेना ने कहा, हकीकत में यह बजट केवल प्रधानमंत्री मोदी की कुर्सी बचाने के लिए पेश किया गया है. जिस तरह से केंद्र सरकार के खजाने से आंध्र और बिहार दोनों राज्यों पर बरसात की गई है, उसे देखते हुए इस बजट से साफ नजर आता है कि प्रधानमंत्री मोदी की गद्दी स्थिर बनाए रखने के लिए सरकार को कितनी मशक्कत करनी पड़ रही है. 


जनता ने मोदी सरकार का गुरूर छीन लिया- सामना

सामना में लिखा गया, डेढ़ महीने पहले आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में जनता ने ‘मोदी सरकार’ का गुरूर छीन लिया और चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार की बैसाखियों पर दिल्ली में एनडीए सरकार आ गई. भले ही नरेंद्र मोदी जैसे-तैसे तीसरी बार सत्ता में आ गए हों, लेकिन उनकी कुर्सी डगमगाती हुई नजर आ रही है. इसीलिए कुर्सी के दो पाए बने दो राज्यों बिहार और आंध्र प्रदेश को बजट में से बड़ी खैरात बांटी गई. बाकी राज्यों की जनता पूछ रही है कि क्या यह पूरे देश का बजट है या सरकार को समर्थन देने वाली दो पार्टियों को खुश करने का संकल्प है. 


शिवसेना ने कहा, इस बजट में जद (यू) की एक बैसाखी को संभालने के लिए बिहार को 41000 करोड़ रुपयों की मदद दी गई है और तेलुगु देशम की दूसरी बैसाखी की देखभाल के लिए आंध्र प्रदेश पर हजारों करोड़ लुटाए गए हैं. आंध्र की नई राजधानी अमरावती के निर्माण के लिए एक वित्तीय वर्ष में 15 हजार करोड़ रुपए तक की पेशकश की गई है और भविष्य में हर साल इसी तर्ज पर आंध्र प्रदेश को हजारों करोड़ की अतिरिक्त निधि देने का वित्तमंत्री ने एलान किया है. राजनीति और सत्ता बनाए रखने के लिए केंद्रीय बजट का ऐसा दुरुपयोग किस आर्थिक अनुशासन में फिट बैठता है? क्या अन्य राज्यों ने केंद्र सरकार की भैंसें चुराई हैं? 


यूपी को बजट में कुछ नहीं मिला- शिवसेना


उत्तर प्रदेश ने देश को प्रधानमंत्री दिया. उस उत्तर प्रदेश के लिए बजट में कुछ भी नहीं है. केंद्र सरकार के खजाने में टैक्स के रूप में सबसे अधिक योगदान देने वाले महाराष्ट्र को इस बजट से एक छदाम भी नहीं मिला. निधि की तो बात ही छोड़िए; लेकिन वित्तमंत्री ने अपने भाषण में महाराष्ट्र और मुंबई का जिक्र तक नहीं किया. केंद्रीय बजट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ‘खोखे’ शाही के जरिए महाराष्ट्र में गैर-संवैधानिक सरकार लाने के बावजूद केंद्र सरकार के मन में महाराष्ट्र के प्रति कितना द्वेष और नफरत भर गई है.