Jammu Kashmir: कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास स्थापित की जाएगी शिवाजी महाराज की मूर्ति
जम्मू कश्मीर में अब बहुत जल्द शिवाजी महाराज की प्रतिमा एलओसी से सटे कुपवाड़ा जिले में देखने को मिलेगी. स्थानीय प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद मूर्तियों को लगाने का काम शुरू हो गया है.
सबसे ऊंचे तिरंगे के बाद अब जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में तीतवाल और करनाह सेक्टरों में नियंत्रण रेखा के पास छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी. दो प्रतिमाओं की स्थापना का काम अगले महीने शुरू होगा और इसकी योजना बना रहे एनजीओ द्वारा शिवाजी के किलों से भूमि पूजन के लिए मिट्टी ली जाएगी.
14 फरवरी 2023 को अमही पुनेकर (वी पुणेकर) एनजीओ ने घोषणा की कि वह भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के पास छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करेगा. इसके पीछे मकसद यह सुनिश्चित करना है कि दुश्मनों से लड़ने वाले सैनिक छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को देखकर उनके आदर्श और नैतिक मूल्यों से प्रेरित हों.
'कुपवाड़ा प्रशासन दे चुका है अनुमति'
इन प्रतिमाओं को लगाने के लिए अमही पुणेकर एनजीओ ने छत्रपति शिवाजी महाराज अटकेपर स्मारक समिति के प्रमुख अभयराज शिरोले के साथ मिलकर यह पहल की है. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा केरन और तंगधार में दो स्थानों पर नियंत्रण रेखा पर स्थापित की जाएगी.
एनजीओ के संस्थापक ने कहा कि इस सिलसिले में वह कुपवाड़ा जिला प्रशासन की अनुमति ले चुके हैं. जाधव ने बताया कि प्रतिमा स्थापना का भूमि पूजन मार्च अंत तक होगा. शिवराय के पदचिन्हों से पावन हुए रायगढ़, तोराना, शिवनेरी, राजगढ़ और प्रतापगढ़ दुर्ग की मिट्टी भूमि पूजन के लिए कश्मीर लाई जाएगी.
क्यों लगा रहे हैं मूर्ति?
एनजीओ के संस्थापक हेमंत जाधव ने कहा कि शिवाजी महाराज ने अपनी रणनीति और साहस से दुश्मनों को खदेड़ दिया था. उन्होंने कहा कि दुनिया भर के विभिन्न देश उनकी गुरिल्ला युद्ध की तकनीकों का पालन करते हैं. शिवराय के आदर्शों और प्रतिमा के माध्यम से सीमा पर भारतीय सैनिकों को प्रेरणा देने के लिए भारत-पाकिस्तान सीमा पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. अभयराज शिरोले ने कहा.
मराठा रेजिमेंट ने स्थापित की थी दो प्रतिमाएं
उल्लेखनीय है कि मराठा रेजीमेंट द्वारा जनवरी 2022 में जम्मू-कश्मीर में छत्रपति शिवाजी महाराज की दो प्रतिमाओं की स्थापना की गई थी. इनमें से एक प्रतिमा को समुद्र तल से 14800 फीट की ऊंचाई पर एलओसी के पास स्थापित किया गया है. अब, पुणे स्थित गैर सरकारी संगठनों द्वारा दो और मूर्तियों का निर्माण किया जाएगा.