भोपाल: बहुचर्चित व्यापमं मामले में सीबीआई से क्लीनचिट मिलने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "हम क्लीन थे, तो चिट तो मिलनी ही थी. सार्वजनिक जीवन में आरोप लगते हैं, मगर आरोप तथ्यों पर आधारित होने चाहिए. ऐसे आरोप दुख पहुंचाते हैं, मुझे बहुत चिंता नहीं थी, राहत में तो मैं पहले से ही था." सीबीआई ने विशेष अदालत में अपना आरोपपत्र दाखिल करते हुए उस आरोप खारिज कर दिया जिसमें एक आरोपी से जब्त कंप्यूटर हार्डडिस्क में छेड़छाड़ की गयी थी जिसमें कथित तौर पर "सीएम" अक्षरों का जिक्र था.
विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दाखिल अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने कहा कि मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल के एक अधिकारी नितिन महिंद्रा से बरामद हार्ड डिस्क ड्राइव के फारेंसिक जांच से स्पष्ट हुआ है कि उनमें कोई ऐसी फाइल नहीं स्टोर थी जिसमें "सीएम" अक्षर थे.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि हार्ड डिस्क के साथ छेड़छाड़ करने के कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और व्हिसल ब्लोअर प्रशांत पांडेय के आरोप को खारिज कर दिया गया है. हार्ड डिस्क को करोड़ों रुपए के भर्ती घोटाले में अहम सबूत माना जा रहा था.
व्हिसल ब्लोअर पांडेय ने अपने दावे के समर्थन में दिल्ली उच्च न्यायालय और सीबीआई को दो पेन ड्राइव सौंपे थे. पांडे ने दावा किया था कि इंदौर पुलिस द्वारा 2013 में बरामद हार्ड डिस्क से छेड़छाड की गयी थी ताकि रिकॉर्ड से "सीएम" शब्द हटाए जा सके.
इस बीच, सीबीआई की स्टेटस रिपार्ट से पर मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि यह प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने की कोशिश थी और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को भाजपा छोड़ेगी नहीं. उन्होंने अपने बयान में कहा, "हम दिग्विजय सिंह और उनके साथियों के विरुद्ध कानूनविदों से राय लेने के बाद मानहानि का मामला दायर करेंगे." चौहान ने व्यापमं मामले में बयानबाजी करने के लिये कांग्रेस के सांसद और मशहूर वकील कपिल सिब्बल की भी आलोचना की.