नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने पर विवाद खड़ा हो गया है. विवाद के बाद प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान सफाई में बेतुकी दलील पेश कर रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान का कहनै है कि समाज का हर वर्ग विकास को और जनकल्याण के काम में जुड़े इसलिए समाज के हर वर्ग को जोड़ने का प्रयास किया गया है.


नाराज संतों को मनाने के लिए लिया फैसला: सूत्र
खबरों के मुताबिक जिन संतों को शिवराज सिंह चौहान ने मंत्री पद का दर्जा दिया है वे सरकार के खिलाफ नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने वाले थे. सरकार को जब इसकी जानकारी मिली तो संतों को मनाने के लिए उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देने का एलान कर दिया. जिन पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है उनमें नर्मदानंद, हरिहरानंद, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और महंत योगेंद्र का नाम शामिल है.


सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
बाबाओं का मंत्री बनाने का शिवराज सिंह चौहान कै फैसला अब कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है. याचिकाकर्ता रामबहादुर वर्मा ने मध्य प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की है.


राज्य मंत्री का दर्जा पाने वाले बाबाओं का क्या कहना है?
राज्य मंत्री का दर्जा पाने वाले कंप्यूटर बाबा ने कहा, ''हम लोगों ने दर्जा मांगा तो नहीं लेकिन अब सरकार ने दिया है तो उन्होंने हमारे काम को दखकर दिया है. हम लोगों को काम दिया गया है उसके लिए ज्यादा से ज्यादा मेहनत कर सकें इसलिए हमें मंत्री पद का दर्जा दिया गया है.''


दर्जा प्राप्त एक और राज्यमंत्री भय्यू जी महाराज ने कहा, ''मंत्री पद और दर्जा से हटकर मैं एक सेवक हूं, सेवक ना मंत्री होता है और ना संतरी होता ह वो सिर्फ सेवक होता है. मैं राष्ट्र, समाज और मानवतावादी विचारों का सेवक हूं.''


सरकार ने संतों को झुनझुना पकड़ाया है: कांग्रेस
शिवराज सरकार के फैसले पर विपक्ष जमकर हमला कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि चुनावी साल में साधु संतों को लुभाने की कोशिश है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि चुनावी साल में संतो को शिवराज सरकार ने झुनझुना पकड़ाया है.