मुंबई: किसानों के मुद्दे पर शिवसेना ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है. शिवसेना ने सामना के संपादकीय में पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा है कि किसानों की आय तो दोगुनी नहीं हुईं, लेकिन आत्महत्याएं जरूर दोगुनी हुईं हैं. शिवसेना ने दावा किया है कि साल 2014 के बाद से देश में अबतक करीब 40 हजार किसानों ने आत्महत्या की हैं.


जुमलों के जुल्म का विस्फोट 2019 में होगा- शिवसेना


शिवसेना की तरफ से सामना में कहा गया है कि सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या महाराष्ट्र में की हैं. किसानों की आत्महत्याओं का ग्राफ क्यों बढ़ रहा है? इसका विचार न करते हुए मोदी सरकार बार-बार वही जुमले दोहरा रही हैं. शिवसेना ने कहा है कि जुमलों के इस जुल्म का विस्फोट साल 2019 के चुनावों  में होगा.


शिवसेना ने आगे कहा, ‘क्या जो गरजेगा वो बरसेगा? मराठी में ऐसी एक कहावत है. महाराष्ट्र हिंदी में इसी संदर्भ मे जो गरजते है वो बरसते नहीं, इस तरह की कहावत इस्तेमाल की जाती है. मौजूदा सत्ताधरियों पर यह कहावत सटीक लागू होती है. असीमित घोषणाएं औऱ उसी जुमलेबाजी से अब देश की जनता परेशान हो चुकी है. इसके बावजूद सत्ताधारी होश में आने को तैयार नहीं हैं.’’


किसानों को हुई निराशा- शिवसेना


संपादकीय में आगे लिखा है, ‘’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश भर के किसानों से सवाद स्थापित किया. देश के 600 से अधिक जिलों के किसान प्रधानमंत्री का भाषण सुन रहे थे. इसके अलावा सीधे प्रसारण से भी पीएम मोदी ने करोड़ों किसानों को आश्वासन दिया. कम से कम  कोई नया जुमला तो सुनने को मिलेगा, इस उम्मीद में किसान टीवी के सामने बैठे थे. लेकिन उन्हें निराशा हुई.

शिवसेना ने कहा  है, ‘’साल 2022 तक किसानों की आमदनी दुगना करेंगे, ऐसी गर्जना पीएम मोदी ने किसानों को संबोधित  करते हुए की थी. इसमें नया क्या है? 2014  के चुनावी  घोषणा पत्र में भी  बीजेपी ने किसानों को यह आश्वासन दिया था. इसी आश्वासन पर विश्वास रखकर किसानों ने काग्रेस को सत्ता से  बाहर किया और  बीजेपी के सांसदों की संख्या दुगनी कर उन्हें सत्ता में लाए.  लेकिन देश का किसान और उसकी खेती कोमा में चली गई. यह सच्चाई है.’’

4 साल पहले किसान जहां था, वहीं उसी तरह है- शिवसेना

शिवसेना ने यह भी कहा है कि  किसानों को मिले आश्वासन को अब 4 साल पूरे हो चुके हैं. हकीकत में खेती और  किसान जहां था, वहीं उसी तरह है. इतना ही नहीं बल्कि पहले की अपेक्षा इस शासन में उनकी स्थिति और भी विकट हो गई है.  जो घोषणा करके  सरकार सत्ता में आई थी, उस आश्वासन को पूरा करने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया.

शिवसेना ने कहा, ‘’किसानों की फसल की उपज दोगुनी करने के लिए सरकार ने पिछले 4 सालें में क्या किया? किसानों की जिंदगी में सचमुच अच्छे दिन आए है क्या? इसका जवाब प्रधानमंत्री  को देना चाहिए था, लेकिन किसानों की  उपज दुगनी करेंगे,  इस तरह के पुराने आश्वासनओं की पुरानी कैसेट बजाकर प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी मुक्त हो गए हैं.’’


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