मुंबई: शिवसेना ने अपने संपादकीय सामना के जरिए इशारों-इशारों में केंद्रीय विपक्ष पर हमला बोला है. संपादकीय में परोक्ष रुप से UPA का नेतृत्व शरद पवार को सौंपने की वकालत की गई है. इसके अलावा राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठाए गए हैं.
शिवसेना का कहना है कि जब तक यूपीए में सारे बीजेपी विरोधी शामिल नहीं होते, तब तक विपक्ष मोदी के सामने बेअसर ही रहेगा. शिवसेना ने कहा, 'प्रियंका गांधी को दिल्ली की सड़क पर हिरासत में लिया जाता है, राहुल गांधी का मजाक उड़ाया जाता है और महाराष्ट्र सरकार को काम करने नहीं दिया जा रहा. यह लोकतंत्र के खिलाफ है.'
"बेजान हुआ विपक्ष"
सामना में लिखा है, "दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन शुरू है. आंदोलन को लेकर सत्ता में बैठे लोगों की बेफिक्री दिख रही है. इस बेफिक्री का कारण है देश का कमजोर विपक्ष. केंद्र में मौजूदा विपक्ष बेजान हो चुका है. हालिया विपक्षियों की अवस्था बंजर गांव के मुखिया का पद संभालने जैसी है. इसीलिए महीनेभर से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान की सुध लेने वाला कोई नहीं. लिहाजा बंजर गांव की हालत सुधारनी होगी ही. इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी या गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार नहीं है. इसकी जिम्मेदारी विपक्ष की है."
सामना में आगे सीधे-सीधे कांग्रेस का नाम भी लिया गया है. आगे लिखा है, "कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए नाम का एक राजनीतिक संगठन है. इस यूपीए की अवस्था फिलहाल एक 'एनजीओ' की तरह नजर आती है. यूपीए में शामिल पार्टियां किसानों के आंदोलन को गंभीरता से लेते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं. यूपीए में शामिल एनसीपी के अलावा दूसरी पार्टियां किसानों के इस मुद्दे पर आक्रमक होती नहीं दिखाई दे रही है."
"कांग्रेस की स्थिति ऐसी पार्टी की हैं जिसके पास पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं"
सामना में शिवसेना ने कहा, "एनसीपी प्रमुख शरद पवार का राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग ही व्यक्तित्व है. उनके अनुभव का फायदा प्रधानमंत्री से लेकर दूसरी पार्टियां भी लेती है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अकेली लड़ रही हैं. केंद्र सरकार सत्ता के जोर पर ममता की पार्टी तोड़ने का प्रयास कर रही है. ऐसे वक्त में तमाम विरोधी दलों ने ममता बनर्जी के पीछे मजबूती से खड़े रहने की जरूरत है. लेकिन इस कठिन दौर में ममता बनर्जी की केवल एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात होने की खबर है और अब शरद पवार पश्चिम बंगाल जा रहे हैं. यह काम कांग्रेस के नेतृत्व में करने की जरूरत थी. आज कांग्रेस की स्थिति ऐसी पार्टी की हैं जिसके पास पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है."
कांग्रेस के अगले अध्यक्ष और यूपीए के भविष्य पर उठाए सवाल
शिवसेना ने सीधे-सीधे कांग्रेस के अगले अध्यक्ष के चयन पर सवाल उठाया है और यूपीए के भविष्य के बारे में पूछा है. कहा, "सोनिया गांधी यूपीए की अध्यक्ष हैं और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष. उन्होंने अभी तक यूपीए का अध्यक्ष पद बड़ी ही बखूबी तरीके से संभाला. लेकिन इस पूरे सफर में उनका साथ देने वाले मोतीलाल वोरा हो या अहमद पटेल वे अब इस दुनिया में नहीं है. कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा? और यूपीए का भविष्य क्या? इसका भ्रम अभी कायम है. फिलहाल अवस्था ऐसी है कि एनडीए में कोई नहीं है और कुछ ऐसी ही अवस्था यूपीए की भी है क्योंकि यूपीए में भी कोई नहीं है?"
सामना में आगे कहा, "राहुल गांधी व्यक्तिगत तौर पर भले ही जोरदार संघर्ष कर रहे हो लेकिन कहीं ना कहीं कमी है. तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, अकाली दल, बीएसपी, समाजवादी पार्टी, जगन मोहन रेड्डी, नवीन पटनायक, कुमारास्वामी की पार्टी, चंद्रशेखर राव, नवीन पटनायक की पार्टी और नेता बीजेपी के विरोधी है. लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में जो यूपीए है उसमें यह लोग शामिल नहीं है. ऐसे में बीजेपी विरोधी इन पार्टियों का यूपीए में शामिल हुए बिना विपक्ष का बाण सरकार पर नहीं चलने वाला है."
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