एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

संजय राउत ने सामना में कहा- लोग अपने परिवार को बचाएं, बाकी देश संभालने के लिए मोदी और उनके दो-चार लोग हैं

संजय राउत ने सामना में लिखा, 'बीतते साल ने महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकट और निराशा का बोझ आनेवाले साल पर डाल दिया है. सरकार के पास पैसा नहीं है लेकिन उसके पास चुनाव जीतने के लिए, सरकारें गिराने-बनाने के लिए पैसा है.'

मुंबई: शिवसेना नेता संजय राउत ने आज अपने संपादकीय में खत्म होने वाले साल 2020 और आने वाले नववर्ष पर विशेष कॉलम लिखा है. प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए संजय राउत ने खत्म होते साल ने 'क्या बोया और क्या दिया' इसपर अपने विचार रखे हैं. संजय राउत का पूरा लेख आप यहां पढ़ सकते हैं...

"2020 खत्म होने को है. बीतता साल कुछ अच्छा करने नहीं जा रहा है. इसलिए नए साल में कौन-से फल मिलेंगे उसका भरोसा नहीं. लोग एक काम करें, अपने परिवार को कैसे बचाना है ये देखें. बाकी देश संभालने के लिए मोदी और उनके दो-चार लोग हैं."

"साल 2020 कब खत्म होगा, ऐसा सभी को लग रहा था. ये साल चार दिनों में खत्म हो जाएगा, लेकिन इससे पहले कई लोगों ने 2020 का कैलेंडर फाड़कर फेंक दिया था. इसलिए 2020 का खत्म होना एक उपचार है. 2020 ये साल शुरू होने के साथ ही अंधेरे में बीता. यह साल संपूर्ण विश्व का जीवन अंधकारमय करनेवाला रहा. 2020 को देश और जनता के लिए दुख पहुंचानेवाले साल के रूप में लंबे समय तक याद किया जाएगा. दुनिया के साथ भी ऐसा ही हुआ है. `कोविड-19' नामक वायरस ने पूरी दुनिया को जेल बना दिया. इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि नए साल में जेल के दरवाजे खुलेंगे. लोग क्रिसमस और नए साल का जश्न न मनाएं इसलिए रात्रिकालीन का कर्फ्यू शुरू किया. यह 6 जनवरी तक चलेगा. मतलब नए साल का स्वागत करते समय उत्साह पर नियंत्रण रखें, ऐसा स्पष्ट आदेश है. पूरी दुनिया मुश्किल में थी लेकिन अमेरिका ने आर्थिक संकट से जूझ रहे अपने नागरिकों को एक अच्छा पैकेज दिया. हर अमेरिकी नागरिक के बैंक खाते में 85,000 रुपए प्रतिमाह जमा होगा, ऐसा यह पैकेज है. ब्राजील और अन्य यूरोपीय देशों में भी यही हुआ लेकिन विदा होते साल में भारत की जनता की झोली खाली रह गई."

लॉकडाउन का देश "खत्म होते साल ने क्या बोया और क्या दिया इसे पहले समझ लें. `कोविड-19' मतलब कोरोना के कारण छह महीने से अधिक समय तक देश लॉकडाउन में ही रहा. इस दौरान उद्योग बंद हो गए थे. लोगों की नौकरियां चली गर्इं. लोगों का वेतन कम हो गया. स्कूल और कॉलेज बंद हैं. आज भी मॉल्स, सिनेमा थिएटर, उद्योग, होटल-रेस्तरां लॉकडाउन में हैं. नतीजतन, लाखों लोगों का रोजगार खत्म हो गया है. कोरोना अवधि के दौरान देश में विदेशी निवेश आ रहा है. इनमें से ज्यादातर निवेश सामंजस्य करार में अटके हुए हैं. महाराष्ट्र में, 25 कंपनियों ने 61 हजार 42 करोड़ रुपए के निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे 2.5 लाख नए रोजगार सृजित होंगे, लेकिन इसी समय पुणे के पास तालेगांव में जनरल मोटर्स का कारखाना बंद हो रहा है और 1800 श्रमिकों के चूल्हे बुझते हुए दिखाई दे रहे हैं. यह भारत और चीन के बीच तनाव से पैदा हुआ संकट है. चीनी सैनिक 2020 में हिंदुस्तानी सीमा में घुसे. उन्होंने अपनी जमीन पर कब्जा कर लिया. चीनी सैनिकों को हम पीछे नहीं धकेल सकते थे, लेकिन संकट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए राष्ट्रवाद की एक नई छड़ी का इस्तेमाल किया गया. चीनी वस्तुओं और चीनी निवेश के बहिष्कार का प्रचार किया गया. चीनी कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स वित्तीय संकट झेल रही जनरल मोटर्स में 5000 करोड़ रुपए का निवेश करनेवाली थी. अब ऐसा नहीं होगा. इसलिए जनरल मोटर्स बंद हो जाएगी. चीनी निवेश पर अंकुश लगाने की बजाय चीन की सेना को यदि पीछे धकेला गया होता, तो राष्ट्रवाद तीव्रता से चमकता दिखाई देता."

लोकतंत्र की आत्मा "बीतते साल में देश ने जो आघात झेला है, उनमें कोरोना का हमला सबसे बड़ा है. लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई. इससे भी भयंकर मतलब 'संसद' लोकतंत्र की आत्मा है. वह आत्मा नष्ट हो गई. तीनों कृषि बिल जिनके खिलाफ किसानों का आंदोलन चल रहा है, बहुमत के बल पर पारित किए गए. अब उस बिल के खिलाफ किसान आज सड़कों पर उतरे हैं. अयोध्या के राम मंदिर जैसे भावनात्मक मुद्दे उठाए जाते हैं लेकिन सरकार किसानों की भावनाओं पर विचार नहीं करती है. हम मानते हैं कि हिंदुस्तान में एक लोकतांत्रिक शासन है लेकिन चार-पांच उद्योगपतियों, दो-चार राजनेताओं ने अपनी महत्वाकांक्षा, घृणा, क्रोध, लालच के लिए देश को कैसे बंधक बनाया है, ऐसा दृश्य बीतते वर्ष में दिखाई दिया. राष्ट्रीय हित का विचार अब संकुचित हो रहा है. पार्टी हित और व्यक्ति पूजा का मतलब देश हित है. सवाल यह है कि क्या राजनीति में केवल स्वार्थ, धोखा और अंत में हिंसा ही शेष है. ऐसा सवाल पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति को देखते हुए खड़ा होता है. लोकतंत्र में राजनीतिक हार होती रहती है, लेकिन ममता बनर्जी को सत्ता से बाहर करने के लिए केंद्र सरकार की सत्ता का जिस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है वह दुखदायक है. बड़े पैमाने पर रैलियां और रोड शो चल रहे हैं और देश के गृह मंत्री इसका नेतृत्व कर रहे हैं. उसी समय कोरोना के संदर्भ में भीड़ से बचने के लिए महाराष्ट्र जैसे राज्यों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाना पड़ता है. नियमों को शासक तोड़ते हैं और भुगतान जनता को करना पड़ता है."

1000 करोड़ का क्या? "बीतते साल में संसदीय लोकतंत्र का भविष्य खतरे में पड़ा. नए संसद भवन के निर्माण से स्थिति नहीं बदलेगी. 1000 करोड़ रुपए के नए संसद भवन के निर्माण की बजाय, इसे स्वास्थ्य प्रणाली पर खर्च किया जाना चाहिए. ऐसा देश के प्रमुख लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया. इसका उपयोग नहीं होगा. श्री राम मंदिर के लिए लोगों से चंदा इकट्ठा किया जाएगा. लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर के निर्माण के लिए, यानी नई संसद के लिए, इस तरह लोगों से चंदा इकट्ठा करने का विचार किसी को व्यक्त करना चाहिए. इस नई संसद के लिए लोगों से एक लाख रुपए भी इकट्ठा नहीं होगा. क्योंकि लोगों के लिए यह इमारत अब सजावटी और बिना काम की होती जा रही है."

राज्य टूटेंगे "बीतते साल ने महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकट और निराशा का बोझ आनेवाले साल पर डाल दिया है. सरकार के पास पैसा नहीं है लेकिन उसके पास चुनाव जीतने के लिए, सरकारें गिराने-बनाने के लिए पैसा है. हम ऐसी स्थिति में हैं जहां देश की राष्ट्रीय आय से अधिक ऋण है. यदि हमारे प्रधानमंत्री को इस स्थिति में रात में अच्छी नींद आ रही है, तो उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए. बिहार में चुनाव हुए. वहां तेजस्वी यादव ने मोदी से टक्कर ली. बिहार के नीतीश कुमार और भाजपा की सत्ता सही तरीके से नहीं आई. भाजपा नेता विजयवर्गीय ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विशेष प्रयास किया था. यदि हमारे प्रधानमंत्री राज्य सरकारों को अस्थिर करने में विशेष रुचि ले रहे हैं तो क्या होगा? प्रधानमंत्री देश का होता है. देश एक महासंघ के रूप में खड़ा है. यहां तक कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं, वे राज्य भी राष्ट्रहित की बातें करते हैं. यह भावना मारी जा रही है. मध्य प्रदेश में, भाजपा ने कांग्रेस को तोड़ दिया और सरकार बनाई. बिहार में युवा तेजस्वी यादव ने चुनौती पेश की. कश्मीर घाटी में अस्थिरता बरकरार है."

"चीन ने लद्दाख में घुसपैठ की है. पंजाब के किसानों पर जोर-जबरदस्ती का प्रयोग शुरू है. केंद्र सरकार कंगना रनौत और पत्रकार अर्नब गोस्वामी को बचाने के लिए जमीन पर उतर गई. राजनीतिक अहंकार के लिए मुंबई की `मेट्रो’ को अवरुद्ध कर दिया. अगर केंद्र सरकार को इस बात का एहसास नहीं हुआ कि हम राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो जैसे रूस के राज्य टूटे वैसा हमारे देश में होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. केंद्र सरकार की क्षमता और विश्वसनीयता पर सवालिया निशान पैदा करनेवाले वर्ष 2020 की तरफ देखना होगा. राज्य और केंद्र के बीच संबंध बिगड़ रहे हैं."

"सुप्रीम कोर्ट कई मामलों में अपना कर्तव्य भूल गया. भारतीय सामाजिक जीवन की त्रासदी यह है कि देश का भविष्य उज्ज्वल करने या उसे डुबाना दो-चार लोगों के हाथों में है. यह त्रासदी वर्तमान में चल रही है. कोरोना और लॉकडाउन के बावजूद, सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार का वायरस कायम है. अंबानी और अडानी की संपत्ति बीतते वर्ष में भी बढ़ती गई लेकिन जनता ने बड़ी संख्या में नौकरियां खो दीं. तो नए साल का आगमन कर्मचारियों को क्या देगा? रात्रि कर्फ्यू के कारण `पार्टिंयां' होटलों और नाइट क्लबों में नहीं होंगी, बस इतना ही. एक अमीर व्यापारी मिलने आए. उन्होंने कहा कि इस बार नए साल की पार्टी घर पर रखी गई है. चार-पांच दोस्तों को बुलाया. आनेवालों ने पूछा, कर्फ्यू शुरू होने पर घर वापस कैसे जाएंगे? इस पर पार्टी के निमंत्रण को स्वीकार करनेवाले मित्र ने कहा, `इसमें क्या है? यह आसान है. ज्यादा-से-ज्यादा एक हजार रुपए का दंड भरना पड़ेगा.' पैसा दिया कि काम तो होता है. कोई समस्या नहीं है, यह भावना देशभर में तेजी से बढ़ रही है."

"आनेवाले हर साल ने आशा की किरणें दिखाई परंतु वे किरणें अंतत: निराशा के अंधेरे में गुम हो गर्इं. अब नए साल की शुभकामनाएं देते हुए, आम लोगों को एक ही अनुरोध करना होगा, जो हुआ वह पर्याप्त है. मानसिक अस्थिरता और उथल-पुथल से भरा वर्ष 2020 बहुत तेजी से खत्म हो गया है और बीतते साल ने कुछ अच्छा न बोकर रखने के कारण वर्ष 2021 कैसा बीतेगा, इसका कोई भरोसा नहीं. लोगों को अपने परिवार को बचाने की कोशिश करनी चाहिए. बाकी संसार तो चलता ही रहेगा!"

ये भी पढ़ें- उत्तर भारत में शीतलहर का अनुमान, मौसम विभाग ने दी शराब से तौबा करने की सलाह Farmers Protest: 29 दिसंबर को किसान संगठन सरकार से बातचीत के लिए तैयार, रखी ये चार शर्तें

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कुछ तो गड़बड़ है', संजय राउत का बड़ा आरोप
'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कुछ तो गड़बड़ है', संजय राउत का बड़ा आरोप
Maharashtra Assembly Election Results 2024: उद्धव ठाकरे को न्योता, रिजल्ट से पहले बोले- शरद पवार भी हमारे साथ, क्या गेम खेल रहे हैं रामदास अठावले
Election Result 2024: उद्धव ठाकरे को न्योता, रिजल्ट से पहले बोले- शरद पवार भी हमारे साथ, क्या गेम खेल रहे हैं रामदास अठावले
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों में कौन आगे, कौन पीछे, यहां देखें VIP नेताओं का हाल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों में कौन आगे, कौन पीछे, यहां देखें VIP नेताओं का हाल
कौन बनेगा मुख्यमंत्री? महाराष्ट्र में CM पद के लिए उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के नाम के लगे पोस्टर
कौन बनेगा मुख्यमंत्री? महाराष्ट्र में CM पद के लिए उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के नाम के लगे पोस्टर
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Jharkhand Election Result : झारखंड विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर | Congress | BJPJharkhand Election Result : झारखंड विधानसभा चुनाव के NDA-INDIA के बीच कड़ा मुकाबलाMaharashtra Election Result : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में 4 मंत्री पीछे चल रहेMaharashtra Election Result : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी का तूफान

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कुछ तो गड़बड़ है', संजय राउत का बड़ा आरोप
'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कुछ तो गड़बड़ है', संजय राउत का बड़ा आरोप
Maharashtra Assembly Election Results 2024: उद्धव ठाकरे को न्योता, रिजल्ट से पहले बोले- शरद पवार भी हमारे साथ, क्या गेम खेल रहे हैं रामदास अठावले
Election Result 2024: उद्धव ठाकरे को न्योता, रिजल्ट से पहले बोले- शरद पवार भी हमारे साथ, क्या गेम खेल रहे हैं रामदास अठावले
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों में कौन आगे, कौन पीछे, यहां देखें VIP नेताओं का हाल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों में कौन आगे, कौन पीछे, यहां देखें VIP नेताओं का हाल
कौन बनेगा मुख्यमंत्री? महाराष्ट्र में CM पद के लिए उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के नाम के लगे पोस्टर
कौन बनेगा मुख्यमंत्री? महाराष्ट्र में CM पद के लिए उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के नाम के लगे पोस्टर
सरकार बनाने की ओर महायुति, लेकिन  क्या फिर शिंदे बनेंगे सीएम? एक्सपर्ट का चौंकानेवाला जवाब
सरकार बनाने की ओर महायुति, लेकिन क्या फिर शिंदे बनेंगे सीएम? एक्सपर्ट का चौंकानेवाला जवाब
IND vs AUS 1st Test 2nd Day Live: भारत की दूसरी पारी शुरू, केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल ओपनिंग पर उतरे
भारत की दूसरी पारी शुरू, केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल ओपनिंग पर उतरे
ट्रेन के जनरल कोच में सफर करने वालों यात्रियों की परेशानी होगी दूर, रेलवे कर रहा है तगड़ी प्लानिंग
ट्रेन के जनरल कोच में सफर करने वालों यात्रियों की परेशानी होगी दूर, रेलवे कर रहा है तगड़ी प्लानिंग
Maharashtra-Jharkhand Assembly Election Results 2024: आ गया पहला रुझान, जानिए महाराष्ट्र-झारखंड में कौन आगे कौन पीछे
आ गया पहला रुझान, जानिए महाराष्ट्र-झारखंड में कौन आगे कौन पीछे
Embed widget