Supreme Court On Shiv Sena: शिवसेना के उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) कैंप को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने पार्टी के चुनाव चिन्ह (Party Symbol) को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) की कार्रवाई रोकने से मना कर दिया है. उद्धव गुट की मांग थी कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसले से पहले चुनाव आयोग पार्टी सिंबल पर सुनवाई न करे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया है.
उद्धव गुट की दलील
उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग में पार्टी के चुनाव सिंबल के आवंटन को लेकर चल रही कार्रवाई रुकी रहनी चाहिए. सिब्बल ने दलील दी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों की अयोग्यता का मसला अभी लंबित है. ऐसे में उस पर फैसला हुए बिना चुनाव आयोग को असली पार्टी पर फैसला लेने से रोका जाना चाहिए.
शिंदे कैंप का जवाब
शिंदे गुट के लिए पेश वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग अपने पास उपलब्ध कराए गए तथ्यों के आधार पर पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर फैसला लेता है. यह आयोग का संवैधानिक काम है. उसे इससे नहीं रोकना चाहिए.
चुनाव आयोग के वकील अरविंद दातार ने कहा कि आयोग अपना संवैधानिक दायित्व निभा रहा है. उसे नहीं रोका जाना चाहिए. आयोग यह नहीं देखता है कि कौन विधायक है, कौन नहीं. सिर्फ पार्टी सदस्य होना पर्याप्त है.
दूसरे पहलुओं पर बाद में होगी सुनवाई
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों की बगावत और उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे से पैदा हुई स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं. इन याचिकाओं में शिंदे कैंप के 16 विधायकों की अयोग्यता, एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के निमंत्रण, सदन में नए स्पीकर के चुनाव की गलत प्रक्रिया जैसे कई मसले उठाए गए हैं.
23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने मामला 5 जजों की बेंच को सौंपा था. तब कोर्ट ने कहा था कि सबसे पहले संविधान पीठ यही तय करेगी कि शिवसेना के चुनाव चिन्ह को लेकर दोनों गुटों के दावे पर चुनाव आयोग अपनी कार्रवाई जारी रखे या नहीं. कोर्ट ने तब आयोग से अपनी कार्रवाई रोके रखने को कहा था.
अब चुनाव आयोग लेगा फैसला
एकनाथ शिंदे गुट ने खुद को असली शिवसेना बताते हुए चुनाव आयोग से पार्टी का चुनाव चिन्ह खुद को आवंटित किए जाने की मांग की थी. आयोग ने इस पर उद्धव ठाकरे गुट से जवाब मांगा था, लेकिन उन्होंने जवाब देने की बजाय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट की सुनवाई के चलते आयोग की कार्रवाई रुकी हुई थी. अब चुनाव आयोग मामले पर फैसला ले सकेगा.
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