Shiv Sena Court Case: शिवसेना के उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे विवाद से जुड़े मामलों को संविधान पीठ को भेजने पर सुप्रीम कोर्ट फैसला लेगा. चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि यह फैसला सोमवार 8 अगस्त तक आ सकता है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह सलाह दी है कि वह फिलहाल असली पार्टी को लेकर दोनों गुटों के दावे पर अपना निर्णय स्थगित रखे. कोर्ट ने आदेश में लिखवाया है कि अगर उद्धव ठाकरे खेमा सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने को आधार बना कर चुनाव आयोग से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगता है, तो आयोग उस पर विचार करे.
पार्टी पर दावे का सवाल सबसे अहम
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों की बगावत और उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे से पैदा हुई स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं. इन याचिकाओं में शिंदे कैंप के 16 विधायकों की अयोग्यता, एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के निमंत्रण, सदन में नए स्पीकर के चुनाव की गलत प्रक्रिया जैसे कई मसले उठाए गए हैं. लेकिन अब इन सबसे अहम यह मसला हो गया है कि चुनाव आयोग ने असली शिवसेना अपने साथ होने के एकनाथ शिंदे कैंप के दावे पर कार्यवाही शुरू कर दी है और उद्धव ठाकरे गुट से जवाब मांगा है.
कानूनी बिंदु संविधान पीठ को भेजे जा सकते हैं
शिंदे कैंप की बगावत और उसके बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार के गठन से जुड़ी याचिकाओं में कई अहम संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं. इसके मद्देनजर कोर्ट ने पिछली सुनवाई में यह संकेत दिया था कि इन सवालों को 5 जजों की संविधान पीठ को सौंपा जा सकता है. कोर्ट ने सभी पक्षों से मामले से जुड़े कानूनी बिंदुओं पर अपने सुझाव देने को कहा था. सभी पक्षों ने अपने सुझाव कोर्ट में जमा करा दिए हैं.
मामले को 3 जजों की बेंच ही सुने
चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि कानूनी सवालों को 5 जजों की बेंच में भेजने पर सोमवार तक निर्णय लिया जाएगा. हालांकि, उद्धव कैंप के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने मामला संविधान पीठ को भेजने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि मामले को 3 जजों की बेंच ही सुने. वह दोनों 2 घंटे में अपनी जिरह पूरी कर लेंगे.
आयोग की कार्रवाई रोकने की मांग
सुनवाई के दौरान उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी लगातार इस बात पर जोर देते रहे कि चुनाव आयोग में पार्टी के चुनाव चिन्ह के आवंटन को लेकर चल रही कार्रवाई रोक दी जानी चाहिए. दोनों की दलील थीं कि शिंदे कैंप के विधायकों की अयोग्यता का मसला अभी लंबित है. ऐसे में उस पर फैसला हुए बिना चुनाव आयोग को असली पार्टी पर फैसला लेने से रोका जाना चाहिए.
चुनाव आयोग की दलील
चुनाव आयोग के लिए पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता एक अलग मुद्दा है. चुनाव आयोग अपने पास उपलब्ध कराए गए तथ्यों के आधार पर पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर फैसला लेता है. अगर कोई आवेदन चुनाव चिन्ह के दावे को लेकर आयोग के पास आता है, तो उस पर विचार कर फैसला लेना आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है.
फिलहाल रुका रहेगा असली शिवसेना पर फैसला
सुनवाई के अंत में कोर्ट ने कहा कि यह उचित होगा आयोग कोई ऐसा आदेश न दे, जिससे मामले की जटिलता और बढ़े. कोर्ट ने कहा है कि एकनाथ शिंदे कैंप की चुनाव आयोग के पास दाखिल याचिका पर उद्धव कैंप को 8 अगस्त तक जवाब देना है. लेकिन अगर उद्धव खेमा चुनाव आयोग से समय देने की मांग करता है, तो आयोग उस पर विचार कर उचित फैसला ले.
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