सत्येंद्र जैन को झटका, Money Laundering Case में दिल्ली कोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज
Money Laundering Case: अदालत ने जैन के अधिवक्ता की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि आरोपी ‘स्लीप एपनिया’ से पीड़ित है, जो ‘काफी गंभीर’ है.
Money Laundering Case: धनशोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा पिछले महीने गिरफ्तार किए गए दिल्ली सरकार (Delhi Government) के मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) को झटका देते हुये यहां की एक अदालत ने आप नेता की जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी. विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने जैन को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि उनकी चिकित्सा स्थिति दिखाने वाले दस्तावेजों के अभाव में आरोपी को केवल इस आधार पर जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता कि वह ‘स्लीप एपनिया’ से पीड़ित हैं.
अदालत ने यह भी कहा कि अगर जमानत दी जाती है, तो इस बात की संभावना है कि जैन साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं, क्योंकि वह रसूखदार पद पर हैं. जज ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा आरोपी के खिलाफ आरोपों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, जमानत याचिका खारिज की जाती है.
अदालत ने जैन के अधिवक्ता की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि आरोपी ‘स्लीप एपनिया’ से पीड़ित है, जो ‘काफी गंभीर’ है. जैन के अधिवक्ता ने दावा किया था कि सहायक की अनुपस्थिति में मशीन हटने अथवा मरीज द्वारा हटाये जाने और बिजली की आपूर्ति बाधित हो जाने पर मरीज की अचानक मौत हो सकती है. उन्होंने कहा कि मशीन के चालू रहने के लिये बिजली का ‘बैक अप’ जरूरी है, जो जेल में नहीं है.
कोविड-19 के दौरान हुआ था गंभीर निमोनिया
अधिवक्ता ने यह भी कहा था कि कोविड-19 के दौरान आरोपी को गंभीर निमोनिया हुआ था और वह किसी तरह बचे थे. जज ने कहा कि जैन के चिकित्सा इतिहास और आरोपी की चिकित्सा स्थिति को दर्शाने के लिये कोई मेडिकल दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि केवल इस आधार पर कि वह ‘स्लीप एपनिया’ से पीड़ित है, आरोपी को जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच अब भी चल रही है और आरोपी के पास प्रभावशाली पद है, इसलिये साक्ष्यों को प्रभावित किये जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
ईडी ने जैन को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत 30 मई को गिरफ्तार किया था. जैन फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. जैन को गिरफ्तार किये जाने के बाद उनके जिम्मे वाले सभी विभाग दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आवंटित कर दिए गए थे.
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