जम्मू कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने एक चौंका देने वाला खुलासा किया है. दरअसल, अब आतंकी बनने के लिए कश्मीरी युवा सरहद पार करने के लिए पासपोर्ट और वीजा का इस्तेमाल करने लगे है. पिछले पांच सालो में 40 से ज्यादा लड़के इसी रास्ते से पाकिस्तान गए है.


जम्मू कश्मीर पुलिस के कश्मीर जोन के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार के अनुसार वीजा लेकर गए लड़कों में से 27 अभी तक विभिन्न मुठभेड़ में मारे जा चुके है जबकि बाकी के बारे में यह जानकारी सामने आ रही है कि वह अभी भी पाकिस्तान में है. 24 जुलाई को बांदीपोरा के शोकबाबा इलाके में हुई एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने तीन अज्ञात आतंकियों को मार गिराया था. जिनमें दो कि पहचान ऐसे स्थानीय लड़कों के तोर पर हुई जो पासपोर्ट लेकर पाकिस्तान शिक्षा हासिल करने के लिए गए थे.


यह पहली बार नहीं है कि पासपोर्ट लेकर पाकिस्तान गए युवकों में से कोई आतंकी बनकर लौटा हो लेकिन इस बार मामला कुछ और है. अब ऐसे लड़के सामने आने लगे हैं जो कश्मीर से अपनी शिक्षा प्रमाणपत्र लेकर उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए गए थे. सेना की चिनार कोर के प्रमुख ले. जनरल डीपी पांडे ने कहा, 'बांदीपोरा में मारे गए लड़के अपनी सर्टिफिकेट लेकर गए थे और उनको पूरी तरह वेरीफाई करवाया था, लेकिन पाकिस्तान पहुंच कर यह आतंकी बन गए थे और इस से पाकिस्तानी साजिश का पता चलता है.'


सीटें आरक्षित


उन्होंने कहा कि अगर लड़के डिग्री लेकर वापस आते हैं तो उनका स्वागत होगा लेकिन अगर हथियार लेकर आते हैं तो उनका अंजाम भी मौत होगा. दरअसल, जम्मू कश्मीर से हर साल करीब 300 लड़के-लड़कियां पाकिस्तान में उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं जिनमें ज्यादातर मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए जाते है. 2016 के बाद से जम्मू कश्मीर के युवाओं के लिए पाकिस्तान सरकार ने विभिन्न प्रोफेशनल कोर्स और यूनिवर्सिटी में सीट आरक्षित कर दी थी. इसी के चलते इस समय भी तीन हजार से ज्यादा छात्र शिक्षा के लिए पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में हैं. 


इमरान सरकार के आने के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तानी कश्मीर के सभी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कश्मीरियों के लिए 10% सीट आरक्षित करने की घोषणा हुई. अब इसी सरकारी स्कीम का फायदा विभिन्न आतंकी संगठन उठाने लगे हैं और युवाओं को सरहद पार ले जाकर आतंकी बना रहे हैं, जिनके पास पासपोर्ट हो. 


2020 में NIA की जांच में भी पाकिस्तानी स्कॉलरशिप का मामला उस समय सामने आया था, जब टेरर फंडिंग मामले में विभिन्न हुर्रियत नेताओं की गिरफ्तारी हुई. NIA ने अपनी जांच में कहा था कि जम्मू कश्मीर के छात्रों के लिए मुफ्त मिलने वाली इन सीट के लिए हुर्रियत नेताओं ने कश्मीर में लाखों रुपये में बेचीं और यही पैसा अलगाववादी गतिविधियों में लगाया. लेकिन अब इस नए खुलासे से सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता बढ़ गई है क्योंकि शिक्षा हासिल करने वाले सही लोगों और आतंकियों के बीच पहचान करना बहुत कठिन होगा.


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