लखनऊ: झांसी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में दुर्घटना में घायल एक बस के क्लीनर के इलाज के दौरान लापरवाही और असंवेदनशीलता का एक बड़ा मामला सामने आया है. आरोप है कि डॉक्टरों ने हादसे में पैर कटने के बाद क्लीनर के पैर को ही उसके सिर के नीचे रखकर तकिया बना दिया.


इस पर कार्रवाई करते हुये उत्तर प्रदेश सरकार ने दो डाक्टरों और दो नर्सो को निलंबित कर दिया है. साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर (ऑर्थोपेडिक्स) के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.


प्राप्त जानकारी के मुताबिक घनश्याम (25) झांसी के एक स्कूल की बस में क्लीनर है. कल बच्चों को लेकर जा रही स्कूल बस पलट गई थी. घटना में छह बच्चे भी जख्मी हुये वहीं, घनश्याम का पैर कट गया. उसे इलाज के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया. जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज किया लेकिन ऐसा आरोप है कि डाक्टरों ने उसका कटा पैर ही उसके सिरहाने रख दिया . इसका वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तुरंत सरकार हरकत में आई और मामले की जांच के आदेश दे दिये .


उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन के निर्देश पर जनपद झांसी के मेडिकल कॉलेज में एक युवक के कटे पैर के प्रति डॉक्टरों तथा नर्सों की लापरवाही की घटना का संज्ञान लेते हुए सीनियर रेजीडेण्ट (ऑर्थोपेडिक्स) डॉ. आलोक अग्रवाल, ईएमओ डॉ. महेन्द्र पाल सिंह, सिस्टर इंचार्ज दीपा नारंग तथा शशि श्रीवास्तव को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया . इसके अलावा, असिस्टेंट प्रोफेसर (ऑर्थोपेडिक्स) डॉ. प्रवीण सरावगी के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.


एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए जा चुके हैं.