नई दिल्ली: सेना को 'प्रथम दृष्टया' साक्ष्य मिले हैं कि जवानों ने शोपियां 'फर्जी मुठभेड़' में अफस्पा के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया. इस संबंध में अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है. जुलाई महीने में हुए इस मुठभेड़ में तीन लोग मारे गए थे. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है.
श्रीनगर में रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध सेना ने सोशल मीडिया पर सामने आई उन रिपोर्ट के बाद जांच शुरू की, जिसमें दावा किया गया था कि जम्मू के राजौरी जिले के रहने वाले तीन व्यक्ति अमशीपुरा से लापता पाये गए थे. जांच को चार सप्ताह के भीतर ही पूरा कर लिया गया.
सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि जांच से कुछ निश्चित साक्ष्य सामने आए जो कि दर्शाते हैं कि अभियान के दौरान अफस्पा, 1990 के तहत निहित शक्तियों का दुरुपयोग किया गया और सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत सेना प्रमुख की ओर से निधार्रित नियमों का उल्लंघन किया गया.
डीजीपी क्या बोले?
जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने आज ही कहा था, ‘‘सेना की आरंभिक जांच प्रक्रिया पूरी होने को है और वे जांच के नतीजे के आधार पर कदम उठाएंगे. मुझे लगता है कि कुछ दिनों की बात है, डीएनए नमूनों के परिणाम आ जाएंगे.’’ जम्मू के रजौरी जिले में 14 अगस्त को तीन युवकों के परिवारों के डीएनए नमूने लिए गए थे .
बता दें कि सेना ने 18 जुलाई को दावा किया था कि दक्षिण कश्मीर के शोपियां में तीन आतंकियों को मार गिराया गया. हालांकि इस बारे में विस्तार से नहीं बताया गया था. मामला तब विवादास्पद हो गया जब तीनों परिवारों ने रजौरी में युवकों के शोपियां के अमशीपुरा क्षेत्र से 17 जुलाई से लापता होने की शिकायत दी . इस मामले की जांच शुरू हुई.
हाल ही में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि परिवार के साथ अन्याय नहीं हो.