Power Crisis: देश के कई राज्यों में बिजली संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में बिजली का संकट पैदा हो सकता है. शनिवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर उनसे हस्तक्षेप करने की अपील की. वहीं सूत्रों के मुताबिक, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आज केंद्र सरकार से बिजली संकट से निपटने के लिए कोटा के अनुसार राज्य की कोयले की आपूर्ति को तुरंत बढ़ाने की अपील की है.


बिहार


बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दावा किया कि राज्य में बिजली का संकट गहराएगा. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “बिहार में बिजली दर देश में सबसे अधिक होने के बावजूद सरकार की नाकामियों के चलते आगामी दिनों में बिजली संकट गहराएगा. डबल इंजन सरकार कांटी और बरौनी के बिजलीघर भी बंद कर रही है.डबल इंजन सरकार से बिहार को ट्रिपल नुकसान हो रहा है और हर क्षेत्र में ट्रबल ही ट्रबल."


यूपी


यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने दो दिनों पहले कहा कि जल्द ही कोयले की आपूर्ति सामान्य की जाएगी. उन्होंने ट्वीट किया था, “प्रिय उपभोक्ता, विभिन्न कारणों से विद्युत उत्पादन इकाइयों में कोयले की आपूर्ति बाधित हुई है, जिससे निर्बाध विद्युत आपूर्ति में व्यवधान आ रहा है. आपको हो रही असुविधा के लिए खेद है. यह समस्या जल्द दूर कर आपूर्ति सामान्य की जाएगी. संयुक्त सचिव, कोयला मंत्रालय की अध्यक्षता में गठित सब ग्रुप, सप्ताह में दो बार कोल आपूर्ति की निगरानी कर रहा है. केंद्र सरकार व कोल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से आपूर्ति सामान्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं. अन्य स्रोतों से बिजली खरीद की जा रही है.”


तमिलनाडु


अन्नाद्रमुक के समन्वयक ओ पनीरसेल्वम ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से राज्य में घटते कोयला भंडार के मुद्दे पर केन्द्र सरकार से बात करने और भंडार फिर से पूरा कर संकट टालने का आग्रह किया. अन्नाद्रमुक नेता ने थर्मल प्लांट्स के संचालन के लिए ईंधन की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि खबरों से संकेत मिलता है कि राज्य के पास केवल चार दिनों का भंडार है और यह बिजली के परिदृश्य से अच्छा नहीं है. उन्होंने कहा कि ताप ऊर्जा केंद्रों पर कोयले के भंडार में गिरावट आई है क्योंकि कोयले के केंद्रीय आवंटन में 20,000 टन प्रतिदिन की कमी की गई है.


ओडिशा


उद्योग संगठन उत्कल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री लिमिटेड (यूसीसीआई) ने ओडिशा सरकार से राज्य स्थित उद्योगों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. यूसीसीआई का कहना है कि इन उद्योंगों को अपनी इकाइयों चलाने के लिए कोयले के भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखे पत्र में यूसीसीआई ने शुक्रवार को कहा, "हम राज्य में मौजूदा कोयले के गंभीर संकट की स्थिति पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. कई इकाइयों के पास इस ईंधन का भंडार नहीं है."पत्र में कहा गया है कि जहां छोटे और मझोले उद्योगों की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, वहीं इस्पात संयंत्र, एल्युमीनियम स्मेल्टर और अन्य बड़े उद्योग एक ऐसे स्तर पर काम कर रहे हैं, जहां यही स्थिति जारी रही, तो उनका परिचालन लाभप्रद नहीं रह जायेगा.


आंध्र प्रदेश


आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने शुक्रवार को कोयला भंडार की कमी के कारण राज्य के सामने आ रहे गंभीर ऊर्जा संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप का आग्रह किया.मुख्यमंत्री ने बिजली कटौती से उत्पन्न होने वाली अव्यवस्था को रोकने के लिए प्रधानमंत्री से कोयला और रेल मंत्रालयों को निर्देश देने का निवेदन किया कि वे तापीय बिजली संयंत्रों वाले राज्यों को 20 कोयला रैक आवंटित करें. साथ ही बैंकों को निर्देश दिया जाए कि वे वितरण कंपनियों को संकट टलने तक उदारतापूर्वक कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करें.


राजस्थान


राजस्थान के ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी के कारण बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ है जिससे राज्य में बिजली संकट पैदा हो गया है. कोयल की कमी के कारण कुछ थर्मल पावर प्लांट्स हैं जबकि बचे प्लांट्स में कोयला खदानों में बारिश के पानी के कारण आपूर्ति कम होने के कारण एक या दो दिनों के लिये कोयले का भंडार बचा हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को राज्य में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की. उन्होंने केंद्रीय अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर पर्याप्त मात्रा में कोयला रैक की आपूर्ति सुनिश्चित करने का अधिकारियों को निर्देश दिया, ताकि थर्मल पावर प्लांट्स  का सुचारू संचालन हो सके. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी आर के शर्मा ने बताया कि बारिश के कारण कोयला खदानों में पानी भरना कोयला उत्पादन कम होने की मुख्य वजह है.


महाराष्ट्र


महाराष्ट्र के बीड जिले के परली थर्मल पावर स्टेशन में आपूर्ति कम होने के कारण कोयले का केवल दो दिन का बफर स्टॉक बचा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. परली थर्मल पावर प्लांट महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (महाजेनको) के कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में से एक है. इसमें आमतौर पर आठ से दस दिनों का कोयले का बफर स्टॉक होता है. बिजली संयंत्र के अधिकारी ने बताया कि इस संयंत्र को एक दिन में करीब 6,000 टन कोयले की जरूरत होती है, लेकिन कोयले का मौजूदा भंडार करीब 4,000 टन है. चीफ इंजीनियर मोहन अव्हाड ने कोयले की दैनिक जरूरत के बारे में कहा कि परली थर्मल पावर स्टेशन को आवश्यक बिजली उत्पादन के लिए डेढ़ रैक कोयले की आवश्यकता होती है, जो लगभग 6,000 टन है. उन्होंने कहा, 'फिलहाल हमें हर दिन 4,000 टन कोयला मिल रहा है."


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