केंद्र सरकार ने पांच और कंपनियों को ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज की दवा बनाने की इजाजत दे दी है. केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट किया कि कई राज्यों में कुछ कोविड​​​​-19 रोगियों को प्रभावित करने वाले अवसरवादी फंगल संक्रमण के इलाज करनेवाली दवाओं की कमी जल्द हल कर लिया जाएगा.


पांच और कंपनियों को मिली ब्लैक फंगस की दवा बनाने की अनुमति


उन्होंने लिखा, "ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) का इलाज करने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी की कमी जल्द ही दूर हो जाएगी! तीन दिनों के भीतर, मौजूदा छह फार्मा कंपनियों के अलावा पांच और फार्मा कंपनियों को भारत में उसके उत्पादन के लिए नई दवा की मंजूरी मिल गई है. मौजूदा फार्मा कंपनियों ने पहले ही उत्पादन में तेजी लाना शुरू कर दिया है. भारतीय कंपनियों ने भी एम्फोटेरिसिन बी दवा की छह लाख शीशियों को आयात करने के लिए ऑर्डर दिया है. हम स्थिति को बेहतर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं."



केंद्र ने बढ़ते मामलों को देखते हुए महामारी घोषित करने को कहा 


कुछ डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में स्ट्रॉयड का अधिक इस्तेमाल ब्लैक फंगस के मामलों में इजाफे की वजह बना है. कुछ मामलों में संक्रमण के फैलाव की रोकथाम के लिए आंख और ऊपरी जबड़ा सर्जन को हटाना पड़ता है. कोविड-19 से उबर चुके या उबर रहे लोगों में ब्लैक फंगस कई राज्यों में पांव पसार चुका है. बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने उसे महामारी के तौर पर घोषित करने के लिए राज्यों से कहा है. इस बीच, ये भी देखने में आया था कि ब्लैक फंगस का इलाज करनेवाली दवाओं की कमी पैदा हो गई थी. कमी को दूर करने के लिए रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने दवा निर्माताओं के साथ बातचीत करने के संकेत दिए थे.