Krishna Janmabhoomi Case: मुस्लिम पक्ष ने उठाया केशव देव विराजमान की याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल, 7 जुलाई को कोर्ट करेगा विचार
आज हुई सुनवाई में हिंदू पक्ष ने शाही मस्ज़िद के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग रखी लेकिन वक्फ बोर्ड और मस्जिद ट्रस्ट के वकीलों ने कहा कि याचिका सुनवाई के लायक ही नहीं है.
Shri Krishna Janm Bhoomi Vivad: श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janma bhumi) मामले में ठाकुर केशव देव महाराज विराजमान की स्वीकार्यता (मेंटनेबिलिटी) पर मथुरा सिविल कोर्ट (Mathura Civil Court) 7 जुलाई को विचार करेगा. आज हुई सुनवाई में हिंदू पक्ष (Hindu Side) ने शाही मस्ज़िद (Shahi Masjid) के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग रखी. लेकिन वक्फ बोर्ड और मस्जिद ट्रस्ट के वकीलों ने कहा कि याचिका सुनवाई के लायक ही नहीं है.
मामले की सुनवाई कर रही सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योति सिंह ने हिंदू पक्ष से पहले इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए कहा. सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में आज 2 याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी थीं. इनमें एक थी वाद संख्या 950/20 जिसमें ठाकुर केशव देव महाराज विराजमान (देवता) के अलावा जय भगवान गोयल, सौरभ गौड़, राजेंद्र माहेश्वरी व महेंद्र प्रताप सिंह वादी हैं.
दूसरी याचिका थी वाद संख्या 152/21 जिसे नारायणी सेना नाम की संस्था के अध्यक्ष मनीष यादव ने दाखिल किया है. केशव देव विराजमान की याचिका की स्वीकार्यता पर कोर्ट में 7 जुलाई को बहस होगी. वहीं मनीष यादव की याचिका को 16 जुलाई के लिए लगा दिया गया है.
विवादित जगह से की गई मस्जिद हटाने की मांग
केशव देव विराजमान और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका में पूरी 13.37 एकड़ जमीन हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई है. इस याचिका में विवादित जगह से मस्ज़िद हटाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि विवादित जगह के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति हो. कोर्ट कमिश्नर की निगरानी में शाही ईदगाह की ज़मीन खुदवाई जाए. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी करवाई जाए.
कितनी तारीख को होगी अगली सुनवाई?
मनीष यादव की याचिका में कहा गया है कि मस्ज़िद की 2.65 एकड़ ज़मीन भगवान श्रीकृष्ण की है. उसे खाली करवाया जाए. यादव की याचिका में इस बात की आशंका जताई गई है मस्ज़िद में मौजूद मंदिर के सबूतों को मिटाने की कोशिश की जा सकती है. इसलिए, ज़िला प्रशासन को जगह की लगातार निगरानी करनी चाहिए. इसके अलावा इस मामले में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, रंजना अग्निहोत्री, शैलेंद्र सिंह, दिनेश शर्मा जैसे याचिकाकर्ताओं की याचिकाएं भी कोर्ट में लंबित हैं. उनकी सुनवाई के लिए कोर्ट ने 15 जुलाई की तारीख तय की है.
क्या है याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं ने औरंगज़ेब के दरबारियों की तरफ से लिखी गई 'मासिर ए आलमगीरी' जैसी किताबों और दूसरे ऐतिहसिक दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्होंने कोर्ट को बताया है कि जनवरी 1670 में मुगल फौज ने मथुरा पर हमला कर केशव राय मंदिर को गिरा दिया और वहां एक मस्जिद बना दी. मंदिर की मूर्तियों को आगरा ले जाकर बेगम शाही मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफन कर दिया. ताकि नमाज के लिए जाते मुसलमान हमेशा उन्हें रौंदते हुए जाएं.
याचिकाकर्ताओं ने मस्ज़िद (Masjid) को वहां बने रहने की अनुमति देने वाले 1968 के एक समझौते को भी चुनौती दी है. उन्होंने दावा किया है कि शाही ईदगाह ट्रस्ट से समझौता करने वाले श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान (Shri Krishna Janmasthan Seva Sansthan) को ऐसा करने का कोई अधिकार ही नहीं था.
PM Modi Varanasi Visit: वाराणसी को मिलेगी नाइट बाजार की सौगात, पीएम मोदी 7 जुलाई को करेंगे उद्घाटन
Ola Driver: ओला ड्राइवर का यात्री से ओटीपी को लेकर हुआ विवाद तो कर दी हत्या, आरोपी गिरफ्तार