महिला से बदसलूकी के मामले में जेल जा चुके श्रीकांत त्यागी का दावा- 'मेरी वजह से खतौली सीट पर हारी BJP'
Shrikant Tyagi ने कहा कि खतौली विधानसभा क्षेत्र में करीब 25 हजार वोटर त्यागी समाज से आते हैं. वहां बूथ अध्यक्ष भी हमारे समाज से होते थे, लेकिन आज सभी ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है.
Shrikant Tyagi On Khatauli By-Election: उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी (BJP) को करारी शिकस्त मिली. इस हार के लिए महिला से बदसलूकी के मामले में जेल जा चुके श्रीकांत त्यागी ने खुद को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि उनकी वजह से ही बीजेपी खतौली विधानसभा सीट पर हारी है. उन्होंने 'यूपी तक' को बताया कि उनकी ट्रैक्टर रैली के बाद त्यागी समाज ने बीजेपी को वोट नहीं दिया.
श्रीकांत त्यागी ने बताया, खतौली सीट पर त्यागी समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है और खतौली में निर्णायक भूमिका में है. त्यागी ने कहा कि जिस तरह से त्यागी समाज के साथ बीजेपी ने व्यवहार किया, उससे अब समाज का मोह भंग हो गया है. उन्होंने कहा, "जिस त्यागी समाज को बीजेपी अपना एग्रीमेंट वाला परंपरागत वोटर मानती थी, उसी त्यागी समाज ने खतौली उपचुनाव में उस एग्रीमेंट को फाड़ने का काम किया है."
'सभी ने बीजेपी का साथ छोड़ा'
पूर्व बीजेपी नेता ने कहा कि बड़ी संख्या में त्यागी समाज के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हमारे सम्मान में अपना पद छोड़ लड़ाई लड़ने का काम किया है. श्रीकांत त्यागी ने आगे कहा, "खतौली विधानसभा क्षेत्र में करीब 25 हजार वोटर त्यागी समाज से आते हैं, वहां बूथ अध्यक्ष भी हमारे समाज से होते थे, लेकिन आज सभी ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है."
'50 हजार वोटों से हारती बीजेपी'
यूपी तक से बातचीत में श्रीकांत ने दावा किया कि त्यागी बाहुल्य नावला गांव में 4113 वोट पड़े, जिसमें से लोकदल को 3736 मिले हैं. अकेले नावला गांव ने इतनी बड़ी बढ़त लोकदल पार्टी को दी है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर प्रशासन की तानाशाही की वजह से वोट प्रतिशत कम नहीं होता तो बीजेपी कम से कम 50 हजार मतों से चुनाव में हारती.
खतौली विधानसभा उपचुनाव के नतीजे
खतौली विधानसभा उपचुनाव में SP-RLD प्रत्याशी मदन भैया ने जीत हासिल की है. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार राजकुमारी सैनी को 22,165 वोटों से हराया है. बता दें कि चार बार के विधायक और रालोद उम्मीदवार मदन भैया ने अपना पिछला चुनाव लगभग 15 साल पहले जीता था. इसके बाद गाजियाबाद के लोनी से 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्हें लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा.