एक्सप्लोरर

श्रील प्रभुपाद: पत्‍नी से पूछा- टी और मी? और फैला दी पाकिस्‍तान से अमेरिका तक कृष्‍ण भक्ति की लहर

कृष्ण भक्ति के प्रचार के लिए साल 1965 में प्रभुपाद जी अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर पहुंचे. जहां हिप्पियों के बीच रहकर उन्होंने गीता के श्लोकों और मेडिटेशन कि जरिए उन्हें कृष्ण भक्ति की ओर आकृषित किया.

पाकिस्तान से अमेरिका तक इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शियसनेस (ISKCON) के आज दुनियाभर में 1 हजार से ज्यादा मंदिर हैं, जहां लाखों भक्त सुबह-शाम कृष्ण की भक्ति में लीन रहते हैं. मंगलवार (14 नवंबर) को इस्कॉन ग्रुप की स्थापना करने वाले श्रीकृष्णाकृपा श्रीमूर्ति श्री अभय चरणविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी की पुण्यतिथि है. आइए आज जानते हैं प्रभुपाद जी का शुरुआती जीवन कैसा था, कैसे वह कृष्ण भक्ति में लग गए और कैसे इस्कॉन की स्थापना की-

1 सितंबर, 1896 को श्रील प्रभुपाद का जन्म कोलकाता के टॉलीगंज में हुआ था, जन्माष्टमी के अगले दिन उनका जन्म हुआ था. माता का नाम रजनी देवी और पिता का नाम गोर मोहनडे था. जन्म के बाद प्रभुपाद जी का नाम अभय चरण रखा गया. बचपन से ही उनका मन कृष्ण भक्ति में लगता था. साल 1901 में जब वह सिर्फ 5 साल के थे तब वह जगन्नाथ रथ यात्रा से काफी प्रेरित हुए और उन्होंने अपने घर में भी रथ यात्रा निकाली.

बचपन से ही कृष्ण भक्ति में रहे लीन
घर का माहौल भी काफी भक्ति वाला था, जिस वजह से अभय भी छोटी उम्र से ही भक्ति में लग गए. वह अपने पिता के साथ श्री श्री राधा गोविंद मंदिर जाया करते थे, जहां से वह कृष्ण भक्ति में लग गए और उन्होंने श्री राधा कृष्ण की सेवा करना शुरू कर दिया. साल 1910 में जब वह सिर्फ 14 साल के थे तब उनकी माता का देहांत हो गया.

साल 1916 में जब प्रथम युद्ध चल रहा था तब अभय के पिता ने डर से उन्हें हायर एजुकेशन के लिए विदेश पढ़ाई के लिए नहीं भेजा और अभय ने कोलकाता के ही स्कॉटिश चर्च में इंग्लिश और संस्कृत समेत कई भाषाओं में पढ़ाई की. यह एक यूरिपयन कॉलेज था. इस वजह से जब उनकी पढ़ाई पूरी हुई तो उन्होंने ब्रिटिशों को रिस्पोंड करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन पर डिग्री लेने से इनकार कर दिया. जब अभय पढ़ाई कर रहे थे तभी साल 1918 में उनकी शादी राधा रानी दत्त से हो गई. 

1921 में महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े
अभय जब पढ़ाई कर रहे थे तब वह महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन से भी काफी प्रभावित थे. 1920 में उनकी पढ़ाई पूरी हुई और 1921 में महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ जुड़ गए. इस दौरान उन्होंने एक लेबोरेट्री में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर काम भी किया. वह शुरुआत से संन्यासी नहीं थे, उनका प्रयागराज में खुद का फार्मेसी का बिजनेस था.

1922 में गुरु से हुई भेंट
साल 1922 में अपने एक दोस्त के जरिए वह गोड़िया मठ के संस्थापक आचार्य श्रील भक्त सिद्धांत सरस्वती ठाकुर गोस्वामी महाराज जी से मिले. उस वक्त अभय की उम्र 26 साल थी और यह कहा जा सकता है कि पूरी दुनिया में कृष्ण भक्ति मूवमेंट को फैलाने की उनकी यात्रा यहीं से शुरू हुई. उनके गुरु ने उनको देखकर सोचा कि इनकी अंग्रेजी इतनी अच्छी है तो ये वेस्टर्न कंट्रीज तक कृष्ण भक्ति के प्रति लोगों को प्रेरित कर सकते हैं. तब उन्हें पश्चिमी देशों में श्री कृष्ण महामंत्र और संकीर्तन आंदोलन के प्रवर्तक श्री चैतन्य महाप्रभु के आंदोलन के प्रचार का आदेश मिला. अभय चरण के गुरु ने उन्हें यह भी कहा कि वे भगवद गीता को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करके विदेशियों को भी इसके बारे में बताएं. यहां से शुरू हुई उनकी कृष्ण भक्ति के प्रचार की यात्रा.

प्रभुपाद जी ने पेन-पेपर पर लिखकर भगवद गीता का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन किया
प्रभुपाद जी ने गुरु के आदेश पर भगवद गीता का ट्रांसलेशन शुरू कर दिया. उस वक्त कंप्यूटर या टाइपराइटर नहीं हुआ करते थे तो उन्होंने पेन से ही गीता के एक-एक श्लोक को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करना शुरू कर दिया और एक साल में उन्होंने पूरी गीता का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन कर दिया. साल 1950 की बात है, एक रोज वह घर लौटे तो ट्रांसलेशन के पन्ने न पाने पर परेशान हो गए और पत्नी से पूछा कि भगवद गीता को ट्रांसलेट किए हुए पन्ने कहां हैं. तब पत्नी ने कहा कि उन्होंने पन्नों को कबाड़ी को बेचकर चाय पत्ती खरीद ली. इस बात से प्रभुपाद जी काफी परेशान हुए और पत्नी से सवाल किया- टी और मी? पत्नी की जवाब था टी. इसके बाद उन्होंने घर छोड़ दिया. संन्यासी जीवन में चले गए. यहां से वह वृन्दावन गए और फिर से गीता का ट्रांसलेशन शुरू किया. कृष्ण भक्ति के प्रचार के लिए उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर को चुना.

कृष्ण भक्ति के प्रचार के लिए शुरू की पत्रिका
साल 1944 में अपने गुरु के आदेशों का पालन करते हुए प्रभुपाद जी ने कृष्ण भक्ति के लिए अंग्रेजी पत्रिका- बैक टू गॉडहेड, शुरू की. इसे चलाने के लिए वह रातभर जागकर लिखा करते थे. राइटिंग, प्रिंटिंग और प्रूफ रीडिंग सारे काम वह खुद करते थे. निशुल्क वह यह पत्रिका लोगों को देते थे. मासिक पत्रिका अभी भी दुनियाभर में प्रभुपाद जी के शिष्य चलाते हैं और 30 से ज्यादा भाषाओं में इसका प्रकाशन होता है.

सिर्फ 7 डॉलर, कुछ किताबें और छतरी लेकर पहुंच गए अमेरिका
साल 1965 में सिर्फ 7 डॉलर, कुछ किताबें और छतरी, एक अटैची और खाने की कुछ सूखी सामग्री लेकर प्रभुपाद जी कोलकाता से अमेरिका पहुंचे. 69 साल की उम्र में एक मालवाहक जहाज के जरिए उन्होंने 37 दिन की यात्रा पूरी की. इस दौरान, उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियां भी हुईं, लेकिन उन्हें रातभर सपने में विष्णु के अवतार दिखाई दे रहे थे, जो समुद्र में फंसी नांव को निकाल रहे थे.

जिस वक्त प्रभुपाद जी अमेरिका पहुंचे तो तब यूएस और वियतनाम का युद्ध चल रहा था और वहां काफी ज्यादा हिप्पी आ गए थे. हिप्पी नशे में धुत सड़कों पर पड़े रहते थे और प्रभुपाद जी ने इनसे ही कृष्ण भक्ति का प्रचार शुरू किया. वह इन लोगों के बीच कीर्तन करते थे, मेडिटेशन की तरफ उन्हें आकर्षित किया और धीरे-धीरे हिप्पियों को भगवद गीता के श्लोकों और प्रभुपाद जी की बातें सुनने में मजा आने लगा.

दिन में सिर्फ 2 घंटे सोते थे और 22 घंटे सेवा करते थे प्रभुपाद जी
कुछ ही सालों में 6 महाद्वीपों में 108 मंदिर बना दिए.  वह दूसरे देशों में चिट्ठी लिखकर अपने शिष्यों से बात किया करते थे. इस तरह उन्होंने 10,000 चिट्ठियों के जरिए अपने शिष्यों से बात की. 12 साल में उन्होंने पूरी दुनिया का 15 बार भ्रमण किया. जब उनकी उम्र बढ़ने लगी तो वह चाहते थे कि श्री कृष्ण भक्ति को लेकर वह खूब किताबें लिखें ताकि उनके जाने के बाद लोगों तक कृष्ण भक्ति पहुंचे. वह 22 घंटे सेवा करते थे और सिर्फ 2 घंटे सोते थे. 14 नवंबर, 1977 को उनकी मृत्यु हो गई. शरीर छोड़ने से पहले भी वह बोल-बोल कर भगवद गीता को ट्रांसलेट कर रहे थे ताकि अपने गुरु का आदेश पूरा कर सकें. 

ऐसे की ISKCON की स्थापना
साल 1966 में प्रभुपाद जी ने महसूस हुआ कि कृष्ण भक्ति का विश्व स्तर पर प्रचार करने के लिए एक संगठन की आवश्यकता है और इस तरह इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शियसनेस ( ISKCON) की स्थापना हुई दुनियाभर में इस समय इस्कॉन के 1 हजार से ज्यादा मंदिर हैं और 500 प्रमुख सेंटर हैं. पाकिस्तान जैसे देशों में भी इस्कॉन के मंदिरों में भक्त रोज सुबह-शाम श्रीकृष्ण की भक्ति करते हैं. हर मंदिर में पढ़ाई से लेकर भोजन तक की व्यवस्था है. साल 1967 में श्रील प्रभुपाद जी ने पहली बार अमेरिका के सैन फ्रांसिस्कों में जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया था.

यह भी पढ़ें:-
Bengaluru Blast Case: आपराधिक मामले में निष्पक्ष सुनवाई केवल आरोपियों तक सीमित नहीं, बेंगलुरु ब्लास्ट केस पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Watch: iPhone 16 सीरीज की सेल शुरू होते ही मची लूट, मुंबई में Apple स्टोर के बाहर दौड़ती दिखी भीड़
iPhone 16 सीरीज की सेल शुरू होते ही मची लूट, Apple स्टोर के बाहर दौड़ती दिखी भीड़
ऑन-ड्यूटी रूम, हर हॉस्पिटल में महिला पुलिसकर्मी, ममता सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए जारी किए निर्देश
ऑन-ड्यूटी रूम, हर हॉस्पिटल में महिला पुलिसकर्मी, ममता सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए जारी किए निर्देश
अमिताभ बच्चन की फिल्मों की रीमेक बना-बनाकर सुपरस्टार बना था ये एक्टर, आज है सबसे महंगा हीरो
अमिताभ बच्चन की फिल्मों की रीमेक बना-बनाकर सुपरस्टार बना था ये एक्टर, आज है सबसे महंगा हीरो
Jobs: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में लॉ ऑफिसर के पदों पर भर्ती, इस डेट से पहले कर लें अप्लाई
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में लॉ ऑफिसर के पदों पर भर्ती, इस डेट से पहले कर लें अप्लाई
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

आज महाराष्ट्र दौरे पर पीएम मोदी, वर्धा में विश्वकर्मा कार्यक्रम में लेंगे हिस्सा | Breaking NewsBusiness News: देखिए शेयर बाजार और बिजनेस से जुड़ी बड़ी खबरें  | ABP NewsIndus water Treaty पर बदले Pakistan के सुर, भारत के सामने गिड़गिड़ाया पड़ोसी मुल्क! | Breaking Newsकर्नाटक दावणगेरे में गणेश विसर्जन के दौरान पथराव | ABP NEWS

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Watch: iPhone 16 सीरीज की सेल शुरू होते ही मची लूट, मुंबई में Apple स्टोर के बाहर दौड़ती दिखी भीड़
iPhone 16 सीरीज की सेल शुरू होते ही मची लूट, Apple स्टोर के बाहर दौड़ती दिखी भीड़
ऑन-ड्यूटी रूम, हर हॉस्पिटल में महिला पुलिसकर्मी, ममता सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए जारी किए निर्देश
ऑन-ड्यूटी रूम, हर हॉस्पिटल में महिला पुलिसकर्मी, ममता सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए जारी किए निर्देश
अमिताभ बच्चन की फिल्मों की रीमेक बना-बनाकर सुपरस्टार बना था ये एक्टर, आज है सबसे महंगा हीरो
अमिताभ बच्चन की फिल्मों की रीमेक बना-बनाकर सुपरस्टार बना था ये एक्टर, आज है सबसे महंगा हीरो
Jobs: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में लॉ ऑफिसर के पदों पर भर्ती, इस डेट से पहले कर लें अप्लाई
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में लॉ ऑफिसर के पदों पर भर्ती, इस डेट से पहले कर लें अप्लाई
AUS vs ENG: भारत के सबसे बड़े 'दुश्मन' ट्रेविस हेड का कहर, 20 चौके और 5 छक्के लगाकर इंग्लैंड को खूब धोया
भारत के सबसे बड़े 'दुश्मन' ट्रेविस हेड का कहर, 20 चौके और 5 छक्के लगाकर इंग्लैंड को खूब धोया
Share Market Opening 20 September: वैश्विक सपोर्ट से 350 अंक चढ़कर खुला सेंसेक्स, 4 फीसदी उछला जेएसडब्ल्यू स्टील का शेयर
वैश्विक सपोर्ट से 350 अंक चढ़कर खुला सेंसेक्स, 4 फीसदी उछला जेएसडब्ल्यू स्टील का शेयर
Pager Blast: राजदूत की फूटी आंख फिर भी चुप है ईरान, इजरायल से भिड़ने का नहीं उठा रहा जोखिम... क्या है वजह
राजदूत की फूटी आंख फिर भी चुप है ईरान, इजरायल से भिड़ने का नहीं उठा रहा जोखिम... क्या है वजह
Tirupati Controversy: 'अयोध्या भेजे गए थे 1 लाख लड्डू', तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी की रिपोर्ट पर भड़का RSS
'अयोध्या भेजे गए थे 1 लाख लड्डू', तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी की रिपोर्ट पर भड़का RSS
Embed widget