लखनऊ: पिछले तीन सालों में रक्षा क्षेत्र में निर्यात का आंकड़ा करीब सात गुना बढ़ गया है.‌ साल 2016 में जहां ये आंकड़ा मात्र 1521 करोड़ था, वहीं 2019 में ये दस‌ हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है.‌ ये आंकड़े सोमवार को रक्षा मंत्रालय ने संसद में पेश किए.


सात गुना बढ़ा निर्यात


राज्यसभा में लिखित सवाल के जवाब में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने बताया, "रक्षा क्षेत्र में निर्यात में भारी उछाल आया है. साल 2016-17 में जहां निर्यात मात्र 1521 करोड़ था, वो पिछले साल 2018-19 में सात गुना यानी 10 हजार करोड़ से ज्यादा बढ़ गया (10746 करोड़). इस साल 2019-20 में अब तक रक्षा क्षेत्र में निर्यात 5883 करोड़ तक पहुंच गया है. निर्यात के ये आंकड़े प्राईवेट कंपनियों और सरकारी संस्थान, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) और रक्षा क्षेत्र की पीएसयू को मिलाकर हैं."


रक्षा के क्षेत्र में हुआ 1800 करोड़ का निवेश


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पिछले साल 2018-19 में देश में पब्लिक और प्राईवेट सेक्टर ने कुल मिलाकर 50 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा हथियार और सैन्य उपकरणों का उत्पादन किया. वहीं साल 2014 से अब तक मात्र 1800 करोड़ का विदेशी निवेश रक्षा क्षेत्र में देश में आया है.


रक्षा राज्यमंत्री के मुताबिक, सरकार ने पिछले कुछ सालों में ऐसे जरूरी कदम उठाए हैं जिसे निर्यात में बढ़ोत्तरी संभव हो पाई है. बता दें कि हाल ही में लखनऊ में संपन्न हुए डिफेंस एक्सपो के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हथियारों और दूसरे सैन्य साजो सामान के एक्सपोर्ट पर जोर दिया था.


रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने पेश किए आंकड़े


सोमवार को ही सरकार ने संसद में रक्षा क्षेत्र में आयात के बेहद ही चौकान्ने वाले आंकड़े पेश किए. रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा को बताया, "इस‌ साल रक्षा क्षेत्र में आयात मात्र 742 करोड़ रुपये था." लेकिन गौर से देखें तो पता चलेगा कि आयात के ये आंकड़े प्राइवेट सेक्टर में रक्षा उत्पाद विभाग‌ (रक्षा मंत्रालय के अधीन विभाग) द्वारा 'रेस्ट्रेक्टेड आइटम्स' में दिए गए लाईसेंस के आधार पर हैं, ना कि देश की सेनाओं को आयात हुए हथियार और दूसरे सैन्य उपकरण के आंकड़े हैं.


रक्षा राज्यमंत्री के मुताबिक, मई 2018 में डीजीएफटी यानि डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने रक्षा आयात के लिए लाइसेंस और मंजूरी देने का अपना अधिकार रक्षा-उत्पाद विभाग (रक्षा मंत्रालय के अधीन विभाग) को दे दिया था. उसके बाद ही इस साल के आंकड़े सामने आए हैं.


ये आंकड़ें इसलिए भी चौकान्नें वाले लगते हैं क्योंकि अभी तक भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश माना जाता था. ग्लोबल एजेंसी, सिपरी (स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) की पिछले साल आई रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2014-18 के बीच सऊदी अरब ही हथियारों के आयात में भारत से ऊपर के पायदान पर था. रक्षा मंत्रालय के ही आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2018-19 में रक्षा मंत्रालय ने करीब 76 हजार करोड़ की रक्षा खरीद की थी.‌ इसमें से करीब 37 हजार करोड़ रुपये अकेले हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान के आयात पर खर्च हुए थे.