श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो बॉडीगार्ड की हत्या के मामले में पुलिस ने जांच एसआईटी को सौंप दी है. इस मामले में अब तक एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है. कश्मीर के महानिरीक्षक (आईजी) स्वयं प्रकाश पाणि ने कहा कि सदिंग्ध की पहचान जुबैर कादरी के रूप में हुई है. उन्होंने कहा कि कादरी, बुखारी के साथ एक पीएसओ की पिस्तौल चुराते हुए वीडियो में नजर आ रहा है. पुलिस ने हत्या में शामिल आंतिकियों की सीसीटीवी फोटो भी जारी किये हैं.


लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट (15 वीं कोर के कमांडर) ने कहा कि उनका मानना है कि बुखारी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर गोली मारी गई है. उन्होंने मीडिया से कहा ,‘‘ मेरा आकलन है कि आईएसआई के इशारे पर इस काम को अंजाम दिया गया है. बाकी जांच में पता चल जायेगा.’’ पुलिस ने एक वीडियो स्क्रीन जारी की है जिससे यह पता चलता है कि एक दाढ़ी वाला शख्स बुखारी के कार का मुआयना कर रहा है. इस वीडियो को वहां एक राहगीर ने बनाया था.





पीएम की बैठक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल रात जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. अधिकारियों ने बताया कि बैठक के दौरान समझा जाता है कि गृह मंत्री ने वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या समेत हाल में हुई हत्याओं के मद्देनजर कश्मीर घाटी की सुरक्षा स्थिति की जानकारी दी. बैठक में रमजान के दौरान आतंकवादियों के खिलाफ स्थगित अभियान की अवधि की समीक्षा की गई. अभियान को स्थगित किये जाने की मियाद आज खत्म हो गयी. बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी शरीक हुए.


केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुजात बुखारी की हत्या की निंदा की है. उन्होंने कहा कि कायरतापूर्ण हमला दर्शाता है कि आतंकवादी काफी हताश हैं. उन्होंने कहा , ‘‘आतंकवादियों द्वारा शुजात बुखारी की हत्या किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इस तरह के हमलों की निंदा करते हैं. हम यह कहना चाहेंगे कि सरकार प्रेस की स्वतंत्रता के लिये वचनबद्ध हैं.’’



नम आंखों से विदाई
बुखारी को कल उनके पैतृक गांव में आज सुपुर्द ए खाक किया गया. भारी बारिश के बीच उनके जनाजे में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें उनके दोस्त और प्रशंसक भी शामिल थे. जिस समय वरिष्ठ पत्रकार को सुपुर्द ए खाक करने की तैयारी चल रही थी , उस समय पाठकों के हाथ में राइजिंग कश्मीर का ताजा अंक था. अखबार के पहले पूरे पन्ने पर काले रंग की पृष्ठभूमि में प्रधान संपादक शुजात की श्याम श्वेत तस्वीर छपी थी. इस पन्ने पर एक संदेश लिखा है: जिन लोगों ने उन्हे हमसे छीन लिया है, उन कायरों से नहीं डरेंगे. जिन लोगों ने शुजात के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया और परिजनों को सांत्वना देने उनके गांव गए, उनमें विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला और बीजेपी और पीडीपी के मंत्री शामिल हैं. 


राइजिंग कश्मीर के संपादक बुखारी और उनके दो अंगरक्षकों की गुरुवार शाम को इफ्तार से थोड़ा पहले श्रीनगर के लाल चौक के निकट प्रेस एनक्लेव में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों की भी हत्या कर दी गई थी.


पहले भी पत्रकार बन चुके हैं निशाना
साल 1991 में ‘असलफा’ के संपादक मोहम्मद शबान वकील की हिजबुल मजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. इसके चार साल बाद 1995 में बीबीसी संवाददाता युसूफ जमील बम धमाके में बाल बाल बच गए थे. यह विस्फोट उनके कार्यालय में हुआ था. इस घटना में एएनआई के कैमरामैन मुश्ताक अली मारे गए थे. नाफा के संपादक परवेज मोहम्मद सुल्तान की 2003 में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने प्रेस एनक्लेव स्थित कार्यालय में गोली मार कर हत्या कर दी थी.