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जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 35A पर SC में सुनवाई जनवरी तक टली
सुनवाई को लेकर अलगावादियों ने घाटी में दो दिन का बंद बुलाया है. बीजेपी को छोड़ी सभी मुख्य विपक्षी पार्टियों क समर्थन इसे हासिल है. हिंसा की आशंका को देखते हुए आज भी कश्मीर के 9 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू जारी रहेगा, सभी हुर्रियत नेता अपने घरों में नजरबंद हैं.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में आज जनवरी के दूसरे हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी गई. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए सुनवाई दिसंबर के बाद करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार की मांग को मानते हुए सुनवाई जनवरी में करने की बात कही है. इससे पहले 6 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई होनी थी लेकिन तीन जजों की पीठ में एक जज के ना होने के चलते सुनावई नहीं हो पाई थी.
उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मसला संविधान पीठ को भेजने पर विचार 3 जजों की बेंच ही कर सकती है. सुनवाई को लेकर अलगावादियों ने घाटी में दो दिन का बंद बुलाया है. बीजेपी को छोड़ी सभी मुख्य विपक्षी पार्टियों क समर्थन इसे हासिल है. हिंसा की आशंका को देखते हुए आज भी कश्मीर के 9 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू जारी रहेगा, सभी हुर्रियत नेता अपने घरों में नजरबंद हैं. किसने दायर की याचिका? दिल्ली स्थित एनजीओ "We the Citizens" और वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके राज्य के विशेष नागरिकता कानून - 35-A को चुनौती दी है और इसको हटाने की मांग की है. वहीं सुनवाई का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अगर नागरिकता के कानून को तोड़ा गया तो धारा 370 भी उसी के साथ खत्म होगा और जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच हुआ विलय भी खत्म हो जाएगा. क्या है अनुच्छेद 35A? यहां समझें अनुच्छेद 35A को मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के ज़रिए संविधान में जोड़ा गया. ये अनुच्छेद जम्मू कश्मीर विधान सभा को अधिकार देता है कि वो राज्य के स्थायी नागरिक की परिभाषा तय कर सके. इन्हीं नागरिकों को राज्य में संपत्ति रखने, सरकारी नौकरी पाने या विधानसभा चुनाव में वोट देने का हक मिलता है. इसका नतीजा ये हुआ कि विभाजन के बाद जम्मू कश्मीर में बसे लाखों लोग वहां के स्थायी नागरिक नहीं माने जाते. वो वहां सरकारी नौकरी या कई ज़रूरी सरकारी सुविधाएं नहीं पा सकते. ये लोग लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं. लेकिन राज्य में पंचायत से लेकर विधान सभा तक किसी भी चुनाव में इन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है. इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर की स्थायी निवासी महिला अगर कश्मीर से बाहर के शख्स से शादी करती है, तो वो कई ज़रूरी अधिकार खो देती है. उसके बच्चों को स्थायी निवासी का सर्टिफिकेट नही मिलता. उन्हें माँ की संपत्ति पर हक नहीं मिलता. वो राज्य में रोजगार नहीं हासिल कर सकते.Supreme Court has deferred hearing on Article 35A, next hearing on 19 January, 2019: Supreme Court Advocate Varun Kumar pic.twitter.com/OwSKA4JOJP
— ANI (@ANI) August 31, 2018
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