Siachen और Himalaya में तैनात सैनिकों को -50 डिग्री में भी गर्म रखेगा ये स्पेशल कपड़ा
रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) के मुताबिक, ईसीडब्लूसीएस सिस्टम में तीन लेयर (परतें) हैं और 15 डिग्री से लेकर माइनस (-) 50 डिग्री तापमान वाले मौसम में पहनी जा सकती है.
सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) और हिमालय (Himalaya) की उंची चोटियों पर तैनात सैनिकों को बेहद सर्दी वाले मौसम में अब स्वदेशी जैकेट पहनने को मिलने वाली है. इस बाबत डीआरडीओ (DRDO) ने माइनस (-) 50 डिग्री तक में गर्मी देने वाली एक्सट्रीम कोल्ड वैदर क्लोथिंग सिस्टम यानी ईसीडब्लूसीएस (ECWCS) को बनाने की तकनीक को पांच स्वदेशी कंपनियों को सौंप दिया है. ये कंपनियां सेना के लिए इन जैकेट्स और खास पैंट को तैयार करेंगी. अभी तक इन अत्यंत ऊंचाई वाले इलाकों में ठंड से बचने के लिए भारतीय सैनिक विदेश से आयात किए गए कपड़े पहनते हैं.
रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) के मुताबिक, ईसीडब्लूसीएस सिस्टम में तीन लेयर (परतें) हैं और 15 डिग्री से लेकर माइनस (-) 50 डिग्री तापमान वाले मौसम में पहनी जा सकती है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) का दावा है कि ये विशेष क्लोथिंग सांस की गर्मी और पसीने से जुड़ी शारारिक गतिविधि और हवा को रोकने की तकनीक पर आधारित है. इन कपड़ों में बेहतर थर्मल इन्सुलेशन और शरीर की क्रिया विज्ञान संबंधी एर्गोनोमिक रूप से डिजाइन मॉडयूलर तकनीक शामिल की गई है.
डीआरडीओ के मुताबिक, हिमालय की चोटी में व्यापक रूप से उतार-चढ़ाव वाले मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं. इसके अलावा ये कपड़े मौजूदा जलवायु परिस्थितियों के लिए आवश्यक इन्सुलेशन प्रदान करते हैं.
डीआरडीओ के चैयरमैन, डॉ जी सथीश रेड्डी ने मंगलवार को ईसीडब्लूएस क्लोथिंग की तकनीक को पांच भारतीय कंपनियों को हस्तांतरित किया. अब ये कंपनियां सेना के लिए 'बल्क' में खास कपड़े तैयार करेंगी. डॉ रेड्डी के मुताबिक, स्पेशल क्लोथिंग एंड माउंटेनरिंग इक्यूपमेंट (एससीएमई) वस्तुओं को ना केवल सेना की मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करेंगी बल्कि निर्यात भी कर सकती हैं.
आपको बता दें कि भारत की चीन और पाकिस्तान से सटी दो-तिहाई विवादित सीमा 14 हजार से लेकर 20-21 हजार फीट तक की उंचाई पर है. इन इलाकों में सर्दियों का तापमान माइनस (-) 50 डिग्री तक पहुंच जाता है. साथ ही तेज बर्फीली हवाएं भी चलती हैं. ऐसे में इन इलाकों में सैनिकों की तैनाती बेहद चुनौतीपूर्ण होती है. अभी तक इन सैनिकों की तैनाती के लिए स्पेशल कपड़ों को यूरोप और अमेरिका जैसे देशों से निर्यात किया जाता था. लेकिन डीआरडीओ की नई क्लोथिंग से अब इन जैकेट्स और पैंट का निर्यात काफी हद तक बंद हो जाएगा.