साइबेरियन डेमोइसेल क्रेन ने 3,676 किमी की उड़ान भरकर राजस्थान में बनाया नया रिकॉर्ड, जानें
राजस्थान के खिचन, फलोदी जैसे स्थानों का महत्व प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित और भोजनयुक्त स्थान प्रदान करने में बढ़ जाता है. इस जगह पर साइबेरियन क्रेन सुकपैक का पहुंचना वाकई में अच्छा संकेत है.
Siberian Demoiselle Crane: एक साइबेरियन डेमोइसेल क्रेन, जिसे "सुकपैक" नाम दिया गया है. उसने नया कीर्तिमान रच दिया है. उसने कुल 3,676 किलोमीटर की दूरी तय कर राजस्थान के फलोदी जिले के खिचन गांव में दस्तक दी. यह गांव प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है. ठंड के मौसम में डेमोइसेल क्रेन खासकर लोदी जिले के खिचन गांव में पहुंचते है.
सुकपैक ने 2,800 किलोमीटर के पुराने रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए यह दूरी तय की. उसकी पहचान उसके पैर पर लगे पीले-नीले टैग से हुई, जिसे 20 जुलाई, 2024 को रूसी वैज्ञानिक एलेना मुद्रिक और उनकी टीम ने मंगोलिया में टैग किया था. सुकपैक को खिचन के प्रसिद्ध फीडिंग स्टेशन पर देखा गया. इस दृश्य को एक ऑस्ट्रेलियाई पर्यटक कैरोलिन सिनॉट ने कैमरे में कैद किया. उन्होंने बताया कि सुकपैक स्थानीय पक्षियों के झुंड के साथ घुल मिलकर भोजन कर रहा था.
वैज्ञानिक नजरिए से सुकपैक की पहचान
रूसी पक्षी विशेषज्ञ एलेना मुद्रिक के अनुसार, सुकपैक एक नर क्रेन है. लंबी दूरी की यात्रा डेमोइसेल क्रेन की मजबूत प्रवासी क्षमताओं को दर्शाती है.
Every winter, thousands of Demoiselle cranes journey 5,000 km from Mongolia and Siberia to Khichan, Rajasthan, flying over Himalayas. Locals feed them through “Chugga Ghars” ( feeding places) daily, helping protect both birds and crops. Khichan has emerged as a crucial wintering… pic.twitter.com/JD1K8KbwDd
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) October 11, 2024
सुकपैक के बारे में रोचक जानकारी
- साइबेरियन डेमोइसेल क्रेन का नाम सुकपैक है.
- सुकपैक ने कुल 3,676 किलोमीटर की दूरी तय की है.
- सुकपैक ने साइबेरिया से अपनी यात्रा शुरू की और राजस्थान के खिचन, फलोदी जिला पहुंचा.
- सुकपैक की पहचान पीले-नीले टैग के जरिए हुई.
- सुकपैक पर 20 जुलाई, 2024 को मंगोलिया में टैग लगाया गया था.
- सुकपैक का पिछला रिकॉर्ड 2,800 किलोमीटर का था.
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