Kittur Queen Chennamma: कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया (Siddaramaiah) कर्नाटक के विजयपुरा में चुनाव प्रचार के दौरान सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर जमकर बरसे. वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य में बीजेपी और उसके नेताओं ने कभी रानी चेन्नम्मा का सम्मान नहीं किया बल्कि गोडसे और सावरकर जैसे लोगों की पूजा की.


विजयपुरा में पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, "बीजेपी गोडसे, सावरकर की पूजा करती है और उन्हें भगवान मानती है. गांधी को मारने वाले की वो प्रशंसा करते हैं. अंग्रेजों से पेंशन लेने वाले सावरकर उनके प्रेरणास्रोत हैं... वे आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाएंगे? उन्होंने कभी कित्तूर की रानी चेन्नम्मा का सम्मान नहीं किया, जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी." 


जानें कित्तूर की रानी चेन्नम्मा के बारे में


चेन्नम्मा 23 अक्टूबर 1778 से लेकर 21 फरवरी 1829 तक कित्तूर की रानी रहीं. उन्होंने अपने प्रभुत्व पर नियंत्रण बनाए रखने के प्रयास में 1824 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध का नेतृत्व किया था. चेन्नम्मा ने पहले विद्रोह में अंग्रेजों को हराया, लेकिन दूसरे विद्रोह के बाद युद्धबंदी के रूप में उनकी मृत्यु हो गई. 


रानी चेन्नम्मा को ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ विद्रोही ताकतों का नेतृत्व करने वाली पहली और कुछ महिला शासकों में से एक के रूप में जाना जाता है. वे कर्नाटक के लोगों के लिए लोक नायक हैं. रानी चेन्नम्मा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी हैं. संसद भवन परिसर (नई दिल्ली) में रानी चेन्नम्मा का एक स्टैच्यु भी है. इसका अनावरण सितंबर, 2007 में भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने किया था.


कर्नाटक में हिंदुत्व को लेकर छिड़ी है बहस


पिछले हफ्ते भी सिद्धारमैया ने बीजेपी पर कटाक्ष किया था. उन्होंने कहा था कि वो हिंदुत्व की राजनीति के विचार के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, "हिंदुत्व और हिंदू धर्म अलग-अलग हैं. मुझे हमेशा हिंदू विरोधी और हिंदू विरोधी धर्म के रूप में पेश किया जाता है. मैं हिंदू धर्म विरोधी नहीं हूं. मैं भी एक हिंदू हूं, लेकिन मैं मनुवाद और हिंदुत्व का विरोधी हूं."


'उनकी विचारधारा हिंदू विरोधी है'


हालांकि, सीएम बोम्मई ने पूर्व सीएम को जवाब देते हुए कहा कि वो वोट बैंक की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कहा, "सिद्धारमैया लंबे समय से राज्य में वोट बैंक की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं. उनकी हिंदू विरोधी विचारधारा को लोगों ने पिछले चुनावों में उजागर किया था और आने वाले चुनावों में भी यही दोहराया जाएगा." बता दें कि कर्नाटक में इसी साल अप्रैल या मई में विधानसभा चुनाव होंगे.


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