सीएम ऑफिस का रेनोवेशन और मैसूर में नया कांग्रेस दफ्तर, फिर विवादों में कर्नाटक सरकार
CM कार्यालय के रिनोवेशन और मैसूर में नए कांग्रेस भवन पर खर्च की खबरों से जनता में असंतोष और बढ़ गया है. आलोचकों का कहना है कि सरकार पार्टी हितों को जनता की समस्याओं से अधिक प्राथमिकता दे रही है.
Siddaramaiah Office Renovation: कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार, जो पहले से ही अपनी गारंटी योजनाओं के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रही है, अब नए विवादों में घिरती नजर आ रही है. हाल ही में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड्स की सूची से टैक्सपेयर्स को हटाने के फैसले और सरकारी कर्मचारियों के पीएफ फंड का उपयोग करने की खबरें सुर्खियों में हैं.
केएसआरटीसी (KSRTC) के एमडी अंबु कुमार द्वारा लिखे गए पत्र ने राज्य के चार परिवहन निगमों—केएसआरटीसी, बीएमटीसी, एनडब्ल्यूकेआरटीसी और केकेआरटीसी—की खराब वित्तीय स्थिति का खुलासा किया है. इन निगमों पर पीएफ ट्रस्ट का कुल ₹2,792.61 करोड़ बकाया है, जिसमें ₹2,269.09 करोड़ पीएफ योगदान और ₹523.52 करोड़ देरी के कारण लगा ब्याज शामिल है.
KSRTC के एमडी अंबु कुमार द्वारा उठाए गए मुद्दे
अंबु कुमार ने इस संकट का कारण संचालन लागत में वृद्धि, ईंधन की बढ़ी हुई कीमतें और कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी को बताया है. उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय दबाव को कम करने के लिए पीएफ फंड का इस्तेमाल किया गया. यह मामला तब सामने आया है जब परिवहन यूनियनों ने बकाया भुगतान और लंबित मांगों को लेकर 31 दिसंबर को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की है. यूनियन नेताओं का कहना है कि सरकार पर वेतन वृद्धि के ₹1,750 करोड़ और ग्रेच्युटी भुगतान के ₹399.29 करोड़ बकाया हैं. हालांकि सरकार ने जनवरी 2024 में नई वेतन वृद्धि का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई औपचारिक निर्णय नहीं हुआ है.
यूनियन का सरकार पर दबाव
इसी बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय के रिनोवेशन और मैसूर में नए कांग्रेस भवन के निर्माण की खबरों ने जनता को और नाराज कर दिया है. आलोचकों का कहना है कि सरकार पार्टी के ढांचे को प्राथमिकता दे रही है, जबकि कर्मचारियों और आम जनता की वित्तीय समस्याओं की अनदेखी कर रही है. यूनियनों ने 9 दिसंबर को विधानसभा सत्र के दौरान “बेलगावी चलो” विरोध मार्च की घोषणा की है, जिससे सरकार पर दबाव बनाने की योजना है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिद्धारमैया सरकार पार्टी के हितों को जनता और कर्मचारियों के अधिकारों से ऊपर रख रही है? आने वाला समय इस सवाल का जवाब देगा.