Who is Siddique Kappan: हाथरस मामले (Hathras Case) पर हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जमानत दे दी है. 5 अक्टूबर 2020 को मथुरा (Mathura) से गिरफ्तार सिद्दीकी पर यूएपीए (UAPA) की धाराएं लगी हैं.
इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मामले को गंभीर बताते हुए सिद्दीकी को जमानत देने से मना कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीकी कप्पन को जमानत दे दी है और कहा है वे अगले 6 हफ्ते तक दिल्ली में रहेंगे और स्थानीय थाने में हाजिरी में लगाएंगे. 6 हफ्ते बाद वे केरल जा सकते हैं.
क्या है पूरा विवाद?
हाथरस की एक बलात्कार पीड़िता की मौत (Hathras Rape Victim Death) के बाद बने तनावपूर्ण माहौल में 5 अक्टूबर 2020 को यूपी पुलिस ने चार लोगों को मथुरा में गिरफ्तार किया था. दिल्ली से मथुरा जा रहे इन लोगों के पास से हिंसा के लिए उकसाने वाली सामग्री जब्त की गई थी. जिन 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, वह थे- सिद्दीकी कप्पन, अतीक उर रहमान, आलम और मसूद. इनमें से सिद्दीकी का दावा था कि वह केरल की एक वेबसाइट के लिए काम करने वाला पत्रकार हैं. वह रिपोर्टिंग के लिए हाथरस जा रहे थे.
यूपी सरकार ने कहा था कि सिद्दीकी विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का कार्यालय सचिव है. उसने पत्रकार होने की आड़ ले रखी है. केरल के जिस अखबार तेजस का पहचान पत्र को बतौर पत्रकार वह दिखाता है, वह 2018 में ही बंद हो चुका है. उसके साथ गिरफ्तार किए गए बाकी तीनों लोग पीएफआई के छात्र संगठन केंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सक्रिय सदस्य हैं.
कौन हैं सिद्दीकी कप्पन?
सिद्दीकी कप्पन का नाम लोगों ने हाथरस केस के बाद ही सुना था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिद्दीकी कप्पन मलयालम समाचार पोर्टल अझीमुखम में संवाददाता हैं. इसके साथ ही वे केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव भी हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिद्दीकी कप्पन कंप्यूटर इंजीनियर थे और उन्होंने पहले अपने होमटॉउन वेंगारा में एक टीचर के तौर पर काम किया. इसके बाद वे 9 साल तक सऊदी अरब में रहे. वहां से 2011 में भारत आए और उन्होंने पत्रकार के तौर पर करियर की शुरुआत की.
किन धाराओं के तहत दर्ज हुआ केस?
सिद्दीकी कप्पन और अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 17 और 18, धारा 124ए (देशद्रोह), धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और आईपीसी की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत आरोप लगाए गए थे. इसी के साथ उनपर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 65, 72 और 75 भी लगाई गई.
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