नई दिल्ली: पंजाब की गद्दी राजनीति के 'गुरु' यानि नवजोत सिंह सिद्धू को मिल गई है. कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन की आपत्तियों की अनदेखी करते हुए सिद्धू को नया प्रदेश अधयक्ष नियुक्त कर दिया है. सिद्धू की इस कामयाबी का जश्न पंजाब के कई शहरों में मना पटियाला में उनके घर के बाहर समर्थकों ने जश्न मनाया तो अमृतसर में भी समर्थकों ने सिद्धू के नाम के नारे लगाए और भांगड़ा कर के खुशी जताई.
आधिकारिक ऐलान होते ही सिद्धू सबसे पहले पटियाला के दुख निवारण गुरुद्वारे गए और माथा टेका...उसके बाद काली माता मंदिर में दर्शन किए और मस्जिद जाकर भी अपनी हाजिरी लगाई. कोशिश ये बताने की थी कि बतौर अध्यक्ष वो इसी समभाव से कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलेंगे.
सिद्धू के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं. संगत सिंह गिलजियां, कुलजीत नागरा, सुखविंदर सिंह डैनी और पवन गोयल सिद्धू के चार नए साथी होंगे.
सिद्धू को ताज तो मिल गया लेकिन वो कांटो भरा है क्योंकि कैप्टन, पार्टी के कई विधायक और कुछ सीनियर पार्टी नेता सिद्ध से नाराज हैं. यही नाराजगी चुनावों में पार्टी की तबीयत नासाज ना कर दे. इसलिए सिद्धू बीते दो दिनों में 50 के करीब कांग्रेसी विधायकों से उनके घर जाकर मुलाकात कर चुके हैं लेकिन चुनौती अब भी कम नहीं हुई है.
सिद्दधू से नाराजगी का आलम तो यह है कि उनके नाम के एलान से पहले पंजाब के 10 विधायकों ने अमरिंदर सिंह के समर्थन में बयान जारी किया. इन विधायकों ने पार्टी आलाकमान से उन्हें ‘निराश’ नहीं करने का आग्रह किया था. इन सभी का कहना था कि नवजोत सिंह सिद्धू एक ‘सेलिब्रिटी’ हैं और निस्संदेह पार्टी के लिए वह एक संपत्ति हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से अपनी ही पार्टी और सरकार की निंदा और आलोचना कर उन्होंने ‘‘कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ाया है और पार्टी को कमजोर किया है.’’
कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने 10 विधायकों की ओर से संयुक्त बयान जारी किया. कांग्रेस के सात विधायकों में कुलदीप सिंह वैद, फतेहजंग बाजवा और हरमिंदर सिंह गिल हैं. खैरा के अलावा, बयान जारी करने वाले आप के दो बागी विधायक जगदेव सिंह कमलू और पीरमल सिंह खालसा हैं. तीनों जून के महीने में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
जाखड़ ने आज बुलाई बैठक, कैप्टन खेमा बैठक के पक्ष में नहीं
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने आज दोपहर 3 बजे प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में विधायकों, विधानसभा चुनाव के हारे हुए उम्मीदवारों और जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है. बैठक में प्रस्ताव पारित किया जाएगा, जिसमें कहा जाएगा कि पंजाब के संदर्भ में पार्टी नेतृत्व द्वारा लिया गया कोई भी फैसला पूरी राज्य इकाई को मंजूर होगा. यह प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा जाएगा. जाखड़ द्वारा बुलाई गई विधायकों की बैठक को लेकर मतभेद शुरू हो गया है.
कैप्टन खेमा बैठक के पक्ष में नहीं है जबकि जाखड़ बैठक की तैयारी कर रहे हैं. हाल में कांग्रेस में शामिल हुए विधायक सुखपाल खैरा ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ से बैठक नहीं बुलाने की मांग की है. खैरा ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष का एलान होने से पहले जाखड़ को इस तरह शक्ति प्रदर्शन नहीं करना चाहिए. जाखड़ के करीबी सूत्रों का दावा है कि कैप्टन का खेमा इस बैठक में शामिल नहीं होने के लिए विधायकों पर दबाव बना रहे हैं.
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