नई दिल्ली: करतारपुर गलियारे के रास्ते पाकिस्तान में गुरुनानाक देव के निर्वाण स्थल पर माथा टेकने के लिए पूर्व किक्रेटर और पंजाब सरकार के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. करतारपुर गलियारे के लिए जाने वाले पहले आधिकारिक जत्थे में जहां उन्हें जगह नहीं मिली है. वहीं, पाकिस्तान की तरफ से सीमा पार होने वाले उद्घाटन समारोह में शरीक होने के लिए विदेश मंत्रालय से उन्हें राजनीतिक मंजूरी अभी तक हासिल नहीं हुई है.


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सरकारी सूत्रों के मुताबिक 9 नवंबर को करतारपुर गलियारे से जा रहे गणमान्य लोगों के दल में शामिल लोगों के लिए राजनीतिक मंजूरी की जरूरत नहीं है. जो लोग उस दल का हिस्सा नहीं हैं उन्हें सामान्य प्रक्रिया के तहत ही जाना होगा और निर्धारित नियमों के मुताबिक आवश्यक मंजूरी लेना होगी. हालांकि जानकारों के मुताबिक पंजाब सरकार से इस्तीफा देने के बाद अब केवल विधानसभा सदस्य की हैसियत रखने वाले सिद्धू यदि निजी तीर्थयात्रा पर जाते हैं तो उन्हें राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि इतना अपेक्षित जरूर है कि वो इस बाबत राज्य विधानसभा और विदेश मंत्रालय को इसकी सूचना दें.


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गौरतलब है कि पाकिस्तान ने अपनी तरफ 9 नवंबर को ही होने वाले उद्घाटन समारोह में शरीक होने का पहला न्यौता सिद्धू को भेजा. इसके बाद सिद्धू ने ना केवल विदेश मंत्रालय में मंजूरी के लिए आवेदन किया बल्कि विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह को खत भी लिखे. ऐसे में सिद्धू के सामने करतारपुर गलियारे के सहारे दर्शन करने की सूरत 9 नवंबर के बाद ही बन सकती है. वो भी तब जब वो निजी हैसियत में केवल तीर्थयात्री के तौर पर वहां जाएं. सीमापार किसी भी कार्यक्रम में शरीक होने के लिए उन्हें आवश्यक मंजूरी हासिल करनी होगी.


महत्वपूर्ण है कि बीते करीब दो दशकों से ठंडे बस्ते में पड़ी करतारपुर गलियारा खोलने की कवायद को रफ्तार जुलाई 2018 में उस वक्त मिली थी जब पंजाब सरकार में तत्कालीन मंत्री सिद्धू पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ समारोह में शरीक हुए थे. सिद्धू के उस दौरे में ही पाकिस्तान ने जहां करतारपुर गलियारा खोलने की पासा चला था. वहीं अगले कुछ दिनों में भारत ने अपनी तरफ से करतारपुर गलियारे के लिए निर्माण शुरु करने की घोषणाकर नहले पर दहला चला था. हालांकि करतारपुर गलियारे की सियासत में सिद्धू कुछ इस तरह उलझे कि उन्हें ना केवल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी झेलना पड़ी बल्कि मंत्रीपद भी गंवाना पड़ा.


हालांकि इस मुद्दे को लेकर सियासत अब भी जारी है. इसका नजारा अमृतसर में सिद्धू औऱ पाक प्रधानमंत्री इमरान खान को करतारपुर गलियारा खोलने के लिए हीरो बताने वाले उन पोस्टरों की शक्ल में भी दिखा जिन्हें महज कुछ ही घंटों के भीतर उतार भी लिया गया.