Sig Sauer Assault Rifle: अमेरिका और भारत के बीच हुए सिग-सोर असॉल्ट रायफल्स (Sig Sauer Assault Rifle) के सौदे को बड़ा झटका लगा है. भारत ने अमेरिका (USA) के साथ इस सौदे की दूसरी खेप को रद्द कर दिया है. इस खेप में भारतीय सेना को करीब 72 हजार अमेरिकी राइफल मिलनी थी लेकिन इस राइफल की पहली खेप में आई परेशानियों के चलते भारत ने दूसरी खेप का सौदा रद्द कर दिया.
सितंबर 2020 में एलएसी (LAC) पर चीन से चल रहे विवाद के दौरान रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने अमेरिका से 72 हजार अतिरिक्त सिग-सॉर राइफल खरीदने को मंजूरी दी थी. इस सौदे की कुल कीमत करीब 780 करोड़ थी. इससे पहले 2019 में भी अमेरिकी कंपनी, सिग-सोर से 72,400 राइफल खरीदी गई थी.
राइफल के इस्तेमाल में क्या परेशानी हो रही है ?
पहली खेप में मिली इन 7.62X51 एमएम राइफल को चीन से सटी एलएसी, एलओसी और कश्मीर घाटी में एंटी-टेररिज्म ऑपरेशन में तैनात सैनिक इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन इस दौरान पाया गया कि इन राइफल में कुछ ऑपरेशनल परेशानियां सामने आ रही हैं.
जानकारी के मुताबिक इन अमेरिकी राइफल्स में स्वदेशी एम्युनिशन यानि गोलियां इस्तेमाल की जा रही थी. इसके कारण कई बार राइफल के जाम होने की रिपोर्ट आ रही थी. इसके अलावा देशी बुलेट्स इस्तेमाल करने से राइफल में हाई-रिकोइल यानी तेज झटका भी लग रहा था. यही वजह है कि सेना ने सिग-सॉर राइफल की दूसरी खेप वाले सौदे को रद्द करने का फैसला किया है.
रूस के साथ क्या है भारत का समझौता ?
आपको बता दें कि भारतीय सेना को इंफेंट्री मॉडर्नाइजेशन के तहत 7.40 लाख असॉल्ट राइफल की जरूरत है. ये राइफल स्वदेशी इंसास राइफल्स को रिप्लेस करने के लिए बेहद जरुरी हैं. क्योंकि भारत और रूस के बीच एके 203 गन के सौदे में देरी हो रही थी इसलिए भारत ने फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत अमेरिका से सिग-सॉर राइफल खरीदने का सौदा किया था.
भारत और रूस के बीच हुए सौदे के मुताबिक, अमेठी के कोरबा प्लांट में भारतीय सेना के लिए करीब साढ़े सात लाख एके 203 राइफल बनाई जाएंगी. हाल ही में भारत ने रूस से सीधे 70 हजार एके-203 राइफल भी खरीदी हैं.