पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि देश में कोविड वैक्सीन के उत्पादन में यूरोप और अमेरिका द्वारा जरूरी रॉ मैटिरियल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की वजह से असर पड़ा है. ये बात अदार पूनावाला ने इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान कही है.


अमेरिका में जाकर जरूरी सामान रोके जाने का विरोध करना चाहता हूं


कोविद -19 वैक्सीन की खुराक के उत्पादन में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा सामना की जा रही कठिनाइयों के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, अदार पूनावाला ने कहा, "मैं चाहता हूं कि मैं वहां जाऊं और खुद अमेरिका में जाकर इस बात के लिए प्रोटेस्ट करूं  कि आप महत्वपूर्ण कच्चे माल को रोक रहे हैं. भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में कोवाक्सिन और इतने सारे वैक्सीन निर्माताओं को इनकी जरूरत है.”


यह एक बात है कि जिससे के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि हमें अभी इसकी जरूरत है. अदार पूनावाला ने कहा, हमें छह महीने या एक साल बाद इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि उस समय तक हमने अन्य सप्लायर्स को विकसित कर लिया होगा.उन्होंने कहा कि SII चीन से कच्चे माल का आयात नहीं कर रहा है क्योंकि वहां क्वालिटी इश्यू और सप्लाई से रिलेटिड समस्याएं हैं.


जून से हर महीने 10-11 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन करेगा SII


अदार पूनावाला ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट कोविशिल्ड की हर महीने 6-6.5 करोड़ खुराक का उत्पादन कर रहा है. उन्होंने कहा कि SII इस साल जून तक प्रति माह 10-11 करोड़ खुराक का उत्पादन करने के लिए तैयार होगा.


विश्व में टीकों का सबसे बड़ा निर्माता, पुणे स्थित SII ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका की कोविड -19 वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है. इस वैक्सीन को भारत में 'कोविशिल्ड' नाम से दी जा रही है. गौरतलब है कि भारत में नियामकों ने आपातकालीन उपयोग के लिए SII की कोविशिल्ड और भारत बायोटेक की कोवाक्सिन को मंजूरी दी है. वर्तमान में, 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी लोग देश  में कोविड -19 टीके प्राप्त करने के पात्र हैं.


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