(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सिख लाइट इन्फेंट्री रेजिमेंट ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के किनारे मनाया अपना स्थापना दिवस, ड्रोन वीडियो आया सामने
सिखलाई यूनिट का 50वां स्थापना दिवस था लेकिन भारतीय सेना की सिखलाई रेजिमेंट सबसे पुरानी रेजिमेंट में से एक है, जिसकी स्थापना 1857 में अंग्रेजी हुकूमत ने की थी.
नई दिल्ली: एलएसी पर चीन से चल रहे तनाव के बीच भारतीय सेना की सिख लाइट इन्फेंट्री रेजिमेंट का पूर्वी लद्दाख से एक ड्रोन वीडियो सामने आया है. वीडियो में जवान पैंगोंग-त्सो झील से सटे इलाके में सिखलाई रेजिमेंट के निशान, चक्रम और कृपाण बनाकर देश के शूरवीरों के सर्वोच्च बलिदान को याद कर रहे हैं.
पिछले 1 जून को सिखलाई (सिख लाइट इन्फेंट्री) की बटालियन यानी सिखलाई यूनिट का 50वां स्थापना दिवस था. ये यूनिट फिलहाल पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग-त्सो इलाके से सटे इलाकों में तैनात हैं. ऐसे में स्थापना दिवस के मौके पर यूनिट के ऑफिसर्स और सैनिकों ने अपनी रेजिमेंट के निशान की तरह खड़े होकर देश के लिए बलिदान होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की. सिखलाई रेजिमेंट का निशान है, चक्रम और कृपाण.
चक्रम, सिखों के एक गोल हथियार को कहते हैं, जिसे सिख अपनी पगड़ी को बचाने और दुश्मन पर वार करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. सिख समुदाय के निहंग इस तरह के हथियार लिए देखे जा सकते हैं. कृपाण यानी कटार भी सिखों के पांच महत्वपूर्ण चीजों में से एक है. सिखलाई के ड्रोन वीडियो में बॉलीवुड का सुपरहिट गाना, तेरी मिट्टी में मिल जांवा भी इस्तेमाल किया गया है.
सिखलाई यूनिट का 50वां स्थापना दिवस था. भारतीय सेना की सिखलाई रेजिमेंट सबसे पुरानी रेजिमेंट में से एक है, जिसकी स्थापना 1857 में अंग्रेजी हुकूमत ने की थी. रेजिमेंट का आर्दश-वाक्य है ‘देग तेग फतह' यानी शांति काल में सुख-समृद्धि और युद्ध के समय विजय. रेजिमेंट का युद्घोष है, जो बोले सो निहाल सतश्री अकाल. किसी भी युद्ध या फिर ऑपरेशन पर जाने से पहले सभी सिख सैनिक गुरुद्वारे में माथा टेकते हैं और ‘देह सिवा बरू मोहि इहै’, का गीत जरूर सुनते हैं. गीत का अर्थ है, हे शिवा मुझे ये वर दे कि मैं किसी भी अच्छे कर्म करने से पीछे ना हटूं. मौजूदा थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी सिखलाई रेजिमेंट से ताल्लुक रखते हैं. उनकी यूनिट है 7 सिखलाई.
Deg Teg Fateh !
— Neeraj Rajput (@neeraj_rajput) June 7, 2021
A #Sikh Light Infantry unit celebrate its raising day along Pangong Tso Lake in Eastern #Ladakh recently#SikhLi pic.twitter.com/5hqAZBmXvL
तनावपूर्ण स्थितियां
बता दें कि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पहले चरण के डिसइंगेजमेंट के बाद फिर से तनावपूर्ण स्थितियां बनी हुई हैं. चीन की पीएलए सेना पैंगोंग-त्सो के उत्तर में फिंगर एरिया से पीछे हटने के बाद अब दूसरे विवादित इलाकों से ना तो पीछे हटने के लिए तैयार है और ना ही सैनिकों और हथियारों की संख्या कम करने के लिए तैयार है. इस तरह की खबरें जरूर आ रही हैं कि चीनी सेना अपने डिवीजन और फील्ड फॉर्मेशेंस को रोटेट कर रही है.
हालांकि, हाई-ऑल्टिट्यूड इलाकों में सेना और यूनिट्स को कम अवधि के लिए ही तैनात किया जाता है, लेकिन फिर भी भारतीय सेना एलएसी पर पूरी तरह से चौकस है. क्योंकि इस तरह की खबरें भी आई हैं कि चीनी सेना एक बार फिर से एलएसी से सटे तिब्बत-क्षेत्र में युद्धाभ्यास कर रही है. पिछले साल भी कोरोना महामारी के दौरान चीनी सेना ने युद्धाभ्यास की आड़ में एलएसी के विवादित इलाकों में घुसपैठ करने की कोशिश की थी. जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी बेहद तेजी से अपने सैनिकों को मोबिलाइज किया था.
भारतीय सेना इसलिए भी कोई ढील नहीं बरतना चाहती क्योंकि गलवान घाटी की हिंसा की पहली बरसी भी इसी महीने है. इस हिंसा में भारतीय सेना के 20 सैनिकों ने चीन की पीएलए सेना से लड़ते हुए बलिदान दिया था. लेकिन चीनी सेना को भी भारी नुकसान हुआ था. हाल ही में चीन की सीसीपी यानी चायनीज कम्युनिस्ट पार्टी ने इस हिंसा में मारे गए अपने एक सैनिक को ‘सदी के सबसे बड़े हीरो’ के खिताब से नवाजा है. इस अवार्ड की घोषणा करते हुए पहली बार चीन और चीन की मीडिया ने गलवान घाटी की हिंसा और भारत का जिक्र किया है.
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