पाकिस्तान में अपनी बेटियां खोने को मजबूर हो रहा सिख समाज, बुलबुल कौर के अपहरण पर भारत में भी फूटा सिखों का गुस्सा
पाकिस्तान के पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान समेत कई सूबों में धड़ल्ले से चल रही धर्मांतरण फैक्ट्री का कड़वा सच यह भी है कि अक्सर इसका शिकार युवा महिलाएं ही बनती हैं.
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नई दिल्ली: पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की नाबालिग लड़कियों सहित महिलाओं का धार्मिक हिंसा और उत्पीड़न का शिकार होना जारी है. बीते करीब डेढ़ साल में अल्पसंख्यक समुदाय की 55 नाबालिग और युवा बेटियों को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन करने और उनका निकाह कराए जाने के मामले सामने आए हैं.
ताज़ा मामला सिखों के पवित्र गुरुद्वारे पंजा साहिब के ग्रंथी प्रीतम सिंह की 17 वर्षीय बेटी बुलबुल कौर का है, जो 31 अगस्त के बाद से लापता है. इस मामले को लेकर भारत में जहां सिख समाज खासा नाराज़ है. वहीं सरकार ने भी पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी को तलब कर सोमवार को फिर एक बार सख्त नाराज़गी जताई.
सिख समाज के लोगों ने सोमवार को इस मामले पर पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन किया. वहीं, मंगलवार को भी महिलाओं ने कैंडल मार्च के जरिए अपनी नाराजगी दर्ज कराई. इतना ही नहीं इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल और भारतीय समुदाय के लिए काम करने वाले संगठन इंडिया वर्ल्ड फोरम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकामी का मुद्दा उठाया है.
गौरतलब है कि बीते दिनों आई USCIRF की वार्षिक रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि पाकिस्तान के हिंदू, ईसाई और सिख समुदायों से अक्सर कम उम्र की महिलाओं को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए अगवा किया जाता है. हर साल 1,000 महिलाओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया जाता है और उनकी मुस्लिम पुरुषों के साथ जबरन शादी कराई जाती है. इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि स्थानीय पुलिस पर भी अक्सर इन मामलों में मिलीभगत के आरोप लगाए जाते हैं, क्योंकि ऐसी शिकायतों की अक्सर सुनवाई नहीं होती.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक सिख समुदाय समेत धार्मिक अल्पसंख्यक बिरादरी में बीते डेढ़ साल के दौरान कम उम्र की लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण के 55 से अधिक उदाहरण सामने आए हैं. वहां इससे कहीं अधिक मामले ऐसे भी हैं, जिनकी शिकायत तक दर्ज नहीं हो पाई, क्योंकि अल्पसंख्यकों कई बार इतनी हिम्मत भी नहीं जुटा पाते हैं. इतना ही नहीं करतारपुर गलियारा जैसी परियोजनाओं के सहारे खुद को सिख समुदाय का हितैषी बताने वाली इमरान खान सरकार के राज में ही कई सिख ग्रंथियों के परिवारों से संबंधित नाबालिग लड़कियों का अपहरण की शिकायतें सामने आई हैं. इनमें से कई लड़कियों को जबरन इस्लाम कुबूल करवा निकाह करवा दिया गया. गत वर्ष नानकाना साहिब में ग्रन्थि की बेटी जगजीत कौर का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन काफी सुर्खियों में आया था.
पाकिस्तान के पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान समेत कई सूबों में धड़ल्ले से चल रही धर्मांतरण फैक्ट्री का कड़वा सच यह भी है कि अक्सर इसका शिकार युवा महिलाएं ही बनती हैं. जानकार यह सवाल उठाते हैं कि यदि इस्लाम में धर्मांतरण ही वजह है तो आखिर इसमें पुरुषों और अधिक उम्र की महिलाओं को ऐसी तवज्जो क्यों नहीं दी जाती. पाकिस्तान की मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उदार चेहरा दिखाने की कोशिश भले ही कर लें. लेकिन उनकी बातों का जमीनी हकीकत पर असर न के बराबर है. ध्यान रहे कि जबरिया धर्मांतरण पाकिस्तान से अल्पसंख्यकों के पलायन की एक बड़ी वजह है.
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