Sikkim Cloud Burst: सिक्किम में ल्होनक झील पर बुधवार (5 अक्टूबर) तड़के बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आने के बाद 14 लोगों की मौत हो गई. आसमानी आफत में 22 सैन्यकर्मी समेत 102 लोग लापता हो गए और 26 लोग घायल भी हैं. जबकि एक सैन्यकर्मी समेत 166 लोगों को बचाया गया है.


अधिकारियों ने बताया कि चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण स्थिति और बिगड़ गई. बचाव कर्मियों ने सिंगताम के गोलिटार में तीस्ता नदी से एक बच्चे सहित कई शव निकाले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिक्किम के मुख्यमंत्री पी एस तमांग से बात की और राज्य के हालात पर बात की. प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया.


खूबसरती के लिए जाना जाता है सिक्किम
जैसे बम फटने के बाद तबाही का मंजर होता है ठीक वैसी ही बर्बादी सिक्किम में एक झील फटने के बाद हर कोने में पसरी दिखाई दे रही है. सिक्किम नॉर्थ ईस्ट यानि उत्तर पूर्व भारत का वो राज्य है जो भूटान के बॉर्डर से तिब्बत और नेपाल के बॉर्डर से सटा हुआ है. सिक्किम को देश और दुनिया उसकी खूबसरती के लिए जानता है लेकिन बुधवार को सिक्किम में तबाही का तांडव सुर्खियां बन गया.


8 पुल बर्बाद, बाढ़ की चपेट आया सेना का कैंप
सिक्किम के अलग-अलग इलाकों में 8 पुल बर्बाद हो चुके हैं. सिक्किम का उत्तरी हिस्सा पूरी तरह कट चुका है. सड़के सैलाब में बन गई है. पानी में पेड़ के बड़े बड़े तने खिलौने की तरह तैरते हुए दिखाई दे रहे हैं. रिहायशी इलाके 15-20 फीट ऊंची लहरों से लड़ते हुए दिखाई दे रहे थे.


बादल फटने के बाद पानी जब सिक्किम की तीस्ता नदी तक पहुंचा तो नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया. नदी का जलस्तर कई फीट तक बढ़ चुका था. नदी से लगे इलाके में ही सेना का कैंप था जो अचानक आई बाढ़ की चपेट में आ गया. इस घटना में सेना के 22 जवान लापता बताए जा रहे हैं. जबकि एक जवान की मौत की खबर है.


रेस्क्यू टीम का पहुंचना भी मुश्किल
तबाही की तस्वीरें देखकर लगता है कि जैसे पानी जिद पर अड़ा है कि रास्ते में खड़े पुल को तोड़कर ही दम लेगा. अचानक आई इस बाढ़ ने सिक्किम की सड़कों को इतनी गहरी चोट पहुंचाई है कि रेस्क्यू टीम का पहुंचना भी बेहद मुश्किल हो गया है. जिस नेशनल हाइवे-10 को सिक्किम की लाइफलाइन कहा जाता है. जो हाइवे सिक्किम में तीस्ता नदी के साथ-साथ चलता है वो कई जगहों पर बर्बाद हो चुका है.


तबाही से 15 हजार लोग प्रभावित
सिक्किम में बादल फटने से करीब 15 हजार की आबादी प्रभावित बताई जा रही है. घर डूब गए, ट्रांसफार्मर डूब गए, बाग के बाग डूब गए. सिक्किम में जब कुछ जगहों से पानी गुजरा तो अपने पीछे लाखों टन मलबा छोड़ गया. गाड़ियों मलबे की समाधि में लीन दिखाई दे रही हैं.


भयानक बाढ़ ने कैसे और क्यों दस्तक दी
सिक्किम में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद ल्होनक झील है. ये वो ही ल्होनक झील है जो मंगलवार रात को फट गई. ल्होनक झील 260 फीट गहरी है, 1.98 किलोमीटर लंबी है और करीब 500 मीटर चौड़ी है. ये एक ग्लेशियल झील है यानि बर्फ के पहाड़ों से रिसते पानी से बनी झील. 


मंगलवार रात (3 अक्टूबर)  करीब 1.30 बजे का वक्त हो रहा था. बहुत तेज बारिश हो रही थी. इस झील के ऊपर बादल फटा और फिर पानी के तेज बहाव और दबाव से झील की दीवारें टूट गईं. ऊंचाई पर होने की वजह से पानी तेजी से निचले इलाकों की तरफ बढ़ा. सैलाब के रास्ते में ही सिक्किम का चुंगथांग बांध आया. बांध से पानी छोड़ा गया. पानी छोड़ने के बाद सिक्किम की तीस्ता नदी का पानी करीब 15 से 20 फीट तक बढ़ गया. तीस्ता नदी में आए सैलाब से सबसे ज्यादा सिक्किम के मंगन, पाक्योंग और गंगटोक इलाके प्रभावित हुए हैं.


सिक्किम खूबसूरत है लेकिन उसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से सिक्किम को टिकलिंग बॉम्ब भी कहा जाता है यानि वो बम जो कभी भी फट सकता है. सिक्किम चारों तरफ से पहाड़ से घिरा है और इन पहाड़ों पर ग्लेशियर वाली झीलें मौजूद हैं. ग्लेशियर झील बर्फ के पहाड़ों के पिघलने से बनी हैं. जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान की वजह से पहाड़ तेजी से पिघल रहे हैं और ये झीलें पानी के दबाव को झेल नहीं पा रही हैं.


सिक्किम करीब 315 ग्लेशियर झीलों का घर है और सिर्फ सिक्किम ही नही हिमालय रेंज में लगातार ग्लेशियर पिघल रहे हैं. सिक्किम की तीस्ता नदी से शुरू हुई तबाही अभी रुकने वाली नहीं है. ये पश्चिम बंगाल में भी असर दिखा रही है. कलिमपोंग और जलपाईगुड़ी प्रभावित हुए हैं.


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